ध्यान-योग से विश्व शांति | Shri Shakti Parv | Sudhanshu Ji Maharaj

ध्यान-योग से विश्व शांति | Shri Shakti Parv | Sudhanshu Ji Maharaj

ध्यान-योग से विश्व शांति

ध्यान-योग से विश्व शांति

नारियों का सदैव रहा है विशेष योगदान

भारतीय गौरव को स्थापित करने, देश के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं सामाजिक उत्कर्ष में देश की नारियों का सदैव से विशेष योगदान रहा है। देश की नारियाँ ऋषिका की भूमिका में उतरीं, तो वेद की ऋचाओं को प्रकट कर दिया, मां की भूमिका में असंख्य वीर, भक्त, सचेतक, संत, वैज्ञानिक, भामाशाह गढ़ डाले। भक्ति के क्षेत्र में इनकी महिमा का बखान करना कठिन है, राज परिवार की मीराबाई, से लेकर साधारण परिवार से निकली बालिकाएं दयाबाई, करमाबाई, सहजोबाई जैसे अनेक उदाहरण हैं।

वर्तमान युग भी कुछ ऐसा ही साक्षी बन रहा है एक नारी ऋषिका ध्यान-योग गुरु डॉ- अर्चिका दीदी का। जिन्हें राष्ट्र, धर्म, संस्कृति की सेवा हेतु पूज्य गुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज व वंदनीय गुरुमाँ ने इस मिशन के लिए समर्पित किया है। डॉ- दीदी वर्षों से गुरुवर के मार्गदर्शन व सान्निध्य में मिशन के विस्तार में लगी हैं। सुयोग है कि इस माह 4 अगस्त को डॉ- दीदी का जन्मदिन भी है।

दीदी ने अनेकों कल्याण योजनाओं का किया है शुभ-आरम्भ

दीदी ने अल्पायु में ही सम्पूर्ण विश्व में योग, ध्यान-साधना, अध्यात्म, विधवा सेवा, नारी सुरक्षा अभियान, बेटी कल्याण योजनाओं के माध्यम से अपनी एक पहचान बनाई। लेखन क्षेत्र में इन्होंने ‘ए यौगिक लिविंग’-एक अनुपम और विशिष्ट ग्रन्थ मानव जाति को भेंट कर सम्पूर्ण मानव-जाति पर उपकार किया है। दीदी पुत्री के साथ-साथ एक समर्पित शिष्या की भूमिका में अपनी मौन साधना को विस्तार दे रही हैं। साथ ही साथ अपने गुरुदेव के मार्गदर्शन में योग, ध्यान, साधना, आचार-विचार, व्यवहार, आहार, प्राणायाम, आराम करने की विधियां, योग-निद्रा, श्वास-प्रक्रिया, नाड़ियों का ज्ञान, मुद्राओं द्वारा उपचार, ब्रह्माण्डीय शक्तियों से तारतम्य व ऊर्जाग्रहण, ध्यान-कर्म में निष्ठा, आन्तरिक ऊर्जा का प्रस्फुटीकरण, भावनाओं को साधनात्मक व सकारात्मक बनाना, सकारात्मक चिंतन, श्वास-प्रक्रियाओं का सकारात्मक संचालन आदि साधनाओं का सतत अभ्यास भी कर रही हैं।

विश्व भर में आयोजित ध्यान-योग शिविर

इसके अतिरिक्त अहर्निश समर्पित विश्व की आधी आबादी नारी को अपना युगीन नेतृत्व देकर उन्हें आत्मनिर्भर, सशक्त, समर्थ, स्वावलम्बी बनाकर एक उदाहरण भी बन जाना चाहती हैं। इसीलिए भारत सहित विश्व के अनेक देशों में मिशन द्वारा नारी चेतना जागरण की दिशा में चलाये जा रहे अभियानों में डॉ- दीदी अप्रतिम भूमिका निभा रही हैं। जन-जन को ज्ञान-भक्ति एवं कर्म की त्रिवेणी से जोड़ने के लिए डॉ- अर्चिका दीदी द्वारा इंगलैण्ड में सम्पन्न किये गये नौटिंघम हिन्दू टेम्पल, एमजी फैकस, वोट्स फोर्ड विलेज हाल हिन्दू कल्चर सोसाइटी आदि स्थलों पर अन्तर्राष्ट्रीय गीता उपदेश शिविर, माइण्डफुलनेस और यौगिक लिविंग मेडिटेशन वर्कशॉप सम्बन्धित ज्ञान-योग शिविर की आज तक लोग सराहना कर रहे हैं और ऐसे शिविरों की मांग आ रही है।

ऑनलाइन भक्ति सत्संग से करोड़ों भक्तों का मार्गदर्शन किया

इसी श्रृंखला में विगत तीन वर्ष से अपने पिता व गुरु पूज्य श्री सुधांशु जी महाराज के मार्गदर्शन में डॉ- अर्चिका दीदी ने ऑनलाइन भक्ति सत्संग से करोड़ों भक्तों-साधकों को उनके जीवन को लक्ष्य से जोड़ रही है। गीता, उपनिषद, वेद, आर्षग्रंथ एवं पौराणिक आख्यानों पर आधारित इनके युगीन संदेश पाकर लोग आध्यात्मिक जीवन निर्माण, राष्ट्रनिर्माण, आत्म उत्थान, सेवा-साधना से जुड़ रहे हैं।

कौशल विकास केन्द्र की स्थापना

इसी प्रकार मिशन द्वारा दीदी के निर्देशन में इस मिशन के प्रयास से संचालित विशेष शिक्षा योजना द्वारा गरीब व विपन्न परिवारों की बेटियों  और बेटों की शिक्षा क्षेत्र में उनकी कल्पनायें साकार रूप ले रही हैं। इन परिवारों के सैंकड़ों मासूम लाचार युवक-युवतियों की जिन्दगी पूज्य सद्गुरुदेव के सेवापरक पुण्य प्रताप एवं दीदी के वैचारिक सम्बल से ज्ञानदीप विद्यालय फरीदाबाद जैसे प्रयोगों द्वारा संवर रही है। इसी क्रम में फरीदाबाद आश्रम में ‘‘कौशल विकास केन्द्र’’ की स्थापना से वर्तमान में ही 25 युवतियां ‘‘सौंदर्य एवं स्वस्थ जीवन’’ तथा ‘‘सिलाई-कढ़ाई’’ में प्रशिक्षण प्राप्त कर अपना जीवन आत्मनिर्भर बनाने में सफल हुई हैं। अगले पांच वर्षों में 10,000 युवतियों को विविध हुनर क्रम में प्रशिक्षित कर उन्हें आत्मावलम्बी, स्वावलम्बी, आत्मनिर्भर बनाकर खड़ा करना मिशन का संकल्प है।

श्री सुधांशु जी महाराज की सुपुत्री होकर युग साधिका के रूप में प्रतिष्ठित किया

‘द यौगिक लिविंग’ सहित अनेक पुस्तकों की लेखिका, करुणासिंधु अस्पताल की चेयरपर्सन एवं अब स्थापित अन्तर्राष्ट्रीय योग स्कूल की संचालिका प्रख्यात संत सद्गुरु श्री सुधांशु जी महाराज की सुपुत्री ऐसी युग साधिका के रूप में प्रतिष्ठित हैं, जिनसे देश-विदेश के लाखों लोग जुड़कर ध्यान-योग, सेवा एवं अध्यात्म की दिशा पा रहे हैं। दीदी ध्यान-योग, भारतीय संस्कृति एवं मानवीय गौरव से जोड़ने एवं देश की नारी शक्ति को सशक्त, समर्थ, आत्मनिर्भर एवं स्वावलम्बी बनाने हेतु आजीवन समर्पित रहने वाली योग साधिका रूप में कार्य कर रही हैं। नारी शक्ति के जागरण, मानव सेवा के बहुआयामी कार्यों के प्रति संकल्पित डॉ- दीदी विश्व जागृति मिशन मुख्यालय आनन्दधाम, नई दिल्ली से अपने पिताश्री सद्गुरु श्री सुधांशु जी महाराज के प्रति एक शिष्या के रूप में समर्पित होकर नारी सशक्तिकरण,

धर्म, संस्कृति एवं लोककल्याण के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर रही हैं विश्व जागृति मिशन की उपाध्यक्षा के रूप में अर्चिका दीदी देश-विदेश में नारी समाज को शक्तिशाली बनाने में पुरुषार्थरत हैं। इतिहास गवाह रहा है कि जब कोई पुत्री अपने पिता की शिष्या बनी है, तो इतिहास बदला है। समाज में धर्म, संस्कृति, आध्यात्मिक चेतना को वैज्ञानिक दिशा मिली है। इतिहास की अनेक ऋषिकायें इसी स्तर की थीं। इसी तरह कम आयु में ही धर्म-अध्यात्म से जुड़ी डॉ- अर्चिका द्वारा सामूहिक कैलाश यात्र पर जाकर स्वयं भगवान शिव की उपासना करना, लोगों को उपासना से जोड़ना भगवान शिव की कृपा का ही प्रभाव है।

शिक्षा के क्षेत्र में है इनकी अनेकों उपलब्धियां

दीदी ने अध्ययन काल के बाद लगभग 11 वर्ष तक शिक्षण के साथ अपनी प्रेक्टिस की और इन्हीं 11 वर्षों में दो पी-एच-डी- हासिल की। डॉ- अर्चिका जी ने योग और विज्ञान को लेकर मेडिकल साइंस में अनोखी खोज के तहत योगासन, प्राणायाम, ध्यान आदि क्रियाओं का मानव जीवन के हर पक्ष जैसे मस्तिष्क, मन, चित्त आदि पर पड़ने वाले प्रभाव पर विशेष कार्य किया। दो अलग-अलग विषयों मास्टर ऑफ साइंस (योग) एवं अल्टरनेट मेडिसिनि में पी-एच-डी- एवं अपनी मेडिकल प्रेक्टिस करते-करते उनका ध्यान ‘साधना और ध्यान’ की तरफ मुड़ना महत्वपूर्ण अलौकिकता है। विश्व के 12 देशों अमेरिका, कनाडा, लन्दन, सिंगापुर, दुबई आदि में इन्होंने अपने मेडिटेशन कैंप चलाये और लोगों को उनके द्वारा लाभ देने का प्रयास किया।

आज डॉ- अर्चिका जी प्रेरक योग-ध्यान गुरु की भूमिका में हैं। नारी जाति के कल्याण एवं विकास हेतु वर्ष 2013 में गुरुदेव के मार्गदर्शन में दीदी ने श्रीशक्ति मंच को प्रबन्धित करने का दायित्व निभाया। दीदी ने लाईफ पाथवे की स्थापना कर गरीब महिलाओं को आर्थिक उपार्जन के सुयोग्य बनाने के लिए उन्हें व्यवसायिक प्रशिक्षण देने, वृद्ध विधवा महिलाओं को प्रत्येक माह भरण-पोषण हेतु राशन देने व अन्य सेवाओं से देकर नारी को आत्म निर्भर बनाया। दीदी को स्वामी विवेकानंद के जन्मोत्सव पर दि आर्ट इन्स्टीट्यूट शिकागो में उनकी जीवनी पर संभाषण, भारत के राष्ट्रपति द्वारा ‘‘दिनकर साहित्य अवार्ड’’ तथा वर्ल्ड कांग्रेस फाउण्डेशन द्वारा ‘‘वर्ल्ड कांग्रेस सीनियर सिटिजन अवार्ड’’ से सम्मानित किया गया है।

बाल्यकाल से ही सेवा साधना की भावना

कहते हैं बाल्यकाल से ही दीदी के अंदर सेवा-साधना की महान भावनाएं उमड़ने लगीं थी। उन श्रेष्ठभावों के आधार पर डॉ- अर्चिका जी ने अपनी श्रेष्ठ जीवन शैली गढ़ी और आज वे ध्यान-योग , साधना के माध्यम से निराश-हताश-तनाव में जी रहे लोगों के जीवन को आसान बना रही हैं। इसी के साथ ही गरीब-अनाथ विधवा महिलाओं को अनेक तरह के निःशुल्क हुनर प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बना रही हैं। उनके इन नेक कार्यों से विश्व जागृति मिशन को शक्ति मिल रही है।

वास्तव में दीदी का जन्म विश्व के कल्याणार्थ पुण्य आत्माओं के जन्मों जैसा है, जो पूर्व जन्मों के पुण्यों और अर्जित संस्कारों के परिणामस्वरूप ईश्वरीय आदेश से होता है। ध्यान-योग डॉ- अर्चिका दीदी ने थोड़े ही अंतराल में अनेक कीर्तिमान स्थापित किये। जैसे भारत में 300 से अधिक शिविर व हांगकांग, अमेरिका शिकागो, बैंकाक, दुबई व लंदन जैसे अनेक देशों में 100 से अधिक यौगिक शिविर आप के मार्गदर्शन में आयोजन हुए। वे अब अपने पूज्य सद्गुरुदेव जी महाराज के मार्गदर्शन में देशभर में सम्पन्न होने वाले भक्ति सत्संग द्वारा जन-जन में वैचारिक चेतना जगाने में संलग्न हैं।

दीदी को उनके साधकों के साथ कैलाश में हुए साक्षात् शिव दर्शन

अर्चिका जी उन भाग्यशालियों में हैं, जिन्होंने कैलाश से ऊर्जा प्राप्त कर महीनों तक मिशन के मानसरोवर गार्डन में निर्मित भव्य मंदिर के शिवालय में भगवान शिव की आराधना की। इस प्रकार वे पांच पीढ़ियों से परिवार में चली आ रही धर्मयात्र को जारी रखकर परिवार, समाज और राष्ट्र का निर्माण कर रही हैं। ध्यान-योग गुरु डॉ- अर्चिका जी वह प्रज्ञा नारी हैं, जिनमें बौद्धिक शक्ति, आंतरिक आत्मतत्व, दिव्य सामर्थ्य और दिव्य आत्मतत्व से परिपूर्ण जागृत चेतना समाई है।

विश्व जागृति मिशन के सेवा कार्यों में इनका मार्ग दर्शन अतुलनीय है

साधना और प्रेम, स्नेह, त्याग और सेवा की पर्याय, सर्व मानव जाति को वात्सल्य की सौगात बांटने वाली दीदी जी योग व आलटरनेट मैडीसन को विज्ञान और अध्यात्म के संगम जैसा प्रयोग करके उस ऊर्जा को हर दुःखी के दुःख दूर करने में लगा रही हैं। अपने स्नेहपूर्ण स्वभाव, अनुभव और योग्यता के बल पर आज ध्यान-योग गुरु डॉ- अर्चिका दीदी मिशन की उपाध्यक्षा, अन्तर्राष्ट्रीय यूथ फोरम व करुणासिन्धु धर्मार्थ अस्पताल की चेयरपर्सन, विश्व जागृति मिशन अन्तर्राष्ट्रीय योग स्कूल की संचालिका की कुशल भूमिका निभाने के साथ-साथ आनन्दधाम ट्रस्ट के सेवा कार्यों में सक्रिय भागीदारी कर जनकल्याण में लगी हैं।

सेवा, त्याग, तपस्या, स्नेह, वात्सल्य, मुस्कराहट, संवेदनशीलता आदि अनेक सात्विक गुणों से अलंकृत दीदी के जीवन का यह प्रारम्भ भविष्य की विराट आध्यात्मिक यात्र का संकेत देता है, जो अभी प्रकृति के गर्भ में है। आइये हम सब मिलकर अपनी प्यारी दीदी को उनके जन्मदिवस पर अनन्त शुभमंगल कामनाओं-प्रार्थनाओं से भरकर अपने को सौभाग्यशाली बनायें और मिशन को शक्तिशाली बनाने में भूमिका निभाये।

टीम-

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *