यह मनुष्य का जीवन हम सभी को मिला है परंतु इसका उपयोग कैसे किया जाना चाहिए – यह बहुत कम लोग जानते हैं! अधिकांश तो ‘सुबह हुई – शाम हुई – ज़िन्दगी यूं ही तमाम हुई’, इसी को आधार बनाकर जीवन व्यतीत करते हैं! सुबह का नया सवेरा, फिर दैनिक दिनचर्या फिर रात हो गयी और सो गए – यही सबका ध्येय होता है! ऐसा जीवन तो पशु, पक्षी, कीट, पतंग भी जी लेते है।
फिर क्या फर्क हुआ मनुष्य योनि पाकर! परंतु हमें विचार करना चाहिए कि क्या महत्वपूर्ण है हमारे लिए और फिर उसके अनुसार अपना जीवन निर्माण करना चाहिए!
जीवन के प्रत्येक क्षण का उपयोग करते हुए इसे सार्थक बनाना है, हमारा समय सारिणी के अनुसार दिन बीते तभी हम सफलता की सीढ़ी चढ़ सकते हैं!
अपने जीवन के क्षण क्षण का उपयोग करते हुए इसको को सार्थक बनाये। हमारा समय हर कार्य के लिए निश्चित हो, अपनी आध्यात्मिक प्रगति भी करें और सामाजिक दायित्वो को भी अच्छे से निभाएं!
ध्यान साधना इसके लिए सशक्त माध्यम है जिसके लिए सदगुरु की शरण परम आवश्यक है क्योंकि ध्यानस्थ होकर ही हम महत्वपूर्ण को पहचान सकेंगे!
महत्व दें नियमबद्ध जीवनशैली को! इसके लिए समय का विभाजन अति आवश्यक है, नियम दृढ़ हो, इरादा पक्का और लगन इतनी तीव्र जो आपको किसी भी परिस्थिति में डांवाडोल ना कर सके, यही अपने जीवन को उत्कृष्ट करने का उपाय है!
हमें चुनना है अपनी अच्छी आदतों को, अपने नियम को, अपनी भक्ति को! भगवान के प्रति भी वफादार बन कर रहना है और अपने सदगुरु के प्रति भी!
जीवन में महत्व दें अपने गुरु के आदेश को, उनके वचनों को और उनके द्वारा दी गयी सभी ध्यान विधिओं को!
ध्यान के माध्यम से परम की अनुभूति कर पाएंगे- अपने भगवान की गोद मे बैठने के क़ाबिल बन पाएंगे !
महत्व दें अपनी संगती को! संगती का चुनाव बहुत सावधानी से करें! गलत संगती से तो अकेला रहना बेहतर है क्योंकि संगती आपके मस्तिष्क पर बहुत गहरा प्रभाव छोड़ती है!
आपको अपने परिवार को भी महत्व देना चाहिए क्योंकि आपका परिवार आपकी शक्ति है! प्रत्येक रिश्ते को प्रेम से परिपूर्ण करो, सभी को सम्मान दो!
महत्व दीजिये सेवा को, पुण्य कर्मों को! आपके कर्मों से ही आपके कल का निर्माण होता है!
आप सफल अवश्य होंगे और आपका जीवन चमकते हुए सितारे की तरह हो जाएगा जहां खुशियाँ, आनंद, स्नेह और उल्लास होगा!