श्रद्धा भाव से मन को एकाग्र करें भगवान के प्रति सभी लोग इस बात को समझें कि सूर्य हो या चांद हो हवाएं हो या संसार के समस्त वह पंचतत्त्व जिनसे संसार बना है।
जिस परम् शक्ति से जुड़े हुए हैं और जहां के द्वारा सभी अपने-अपने कार्यों के लिए गतिशील हैं और – तो ये ज्योति आ रही है सूरज में वो शक्ति परमात्मा है।
हवाओं का वेग और हवाओं में जीवनी शक्ति देने वाली शक्ति भी भगवान है! पृथ्वी को जो लगातार गतिशील किए हुए है और पृथ्वी तत्त्व में जो शक्ति है वो जीवनी शक्ति देने वाला भी भगवान है।
जिस तरह से सारे पेड़ पौधे सूर्य की ओर मुख किए हुए हैं सब कनेक्टेड हैं! उसी के अनुसार युक्त होने से उनमें उर्जा आती है उनका विकास होता है।
हमारा भी आंतरिक विकास अपने भगवान से जुड़ने से होगा भगवान का वह स्वरुप जो सर्वव्यापि है जो सूक्ष्मातिसूक्ष्म है जिसे अगोचर कहा गया, जिसका प्रत्यक्ष नहीं होता, जिसे आप हाथ से पकड़ नहीं सकते छू नहीं सकते, जिसे चखा नहीं जा सकता, जिसको आंखें देख नहीं सकती, मन भी जिसका मनन नहीं कर सकता, कल्पना में भी जो नहीं आ सकती शक्ति, वह शक्ति भगवान है! और उस जीवनी शक्ति से आप अपने मंत्र के द्वारा अपनी भाव तरंगों के द्वारा जुड़ने की कोशिश हमेशा कीजिए ।