‘श्रीयंत्र’ लक्ष्मी की कृपा पाने और प्राप्त धन की सुगंधि से लोक प्रतिष्ठा दिलाने का आधार माना गया है। आर्थिक उन्नति, व्यापार वृद्धि तथा भौतिक सुख-सम्पदा की प्राप्ति के लिये श्रद्धालु लोग श्रीयंत्र की साधना करते हैं।
श्रीयंत्र में साक्षात् मां लक्ष्मी का परम वैभव निवास करता है। श्रीयंत्र ब्रह्माण्ड के मूल में छिपे सुख, शांति, समृद्धि, वैभव के मूल रहस्य की कुंजी कहा गया है। कहते हैं लक्ष्मी एवं विष्णु की शक्ति से संयुक्त यह यंत्र घर में स्थापित करने से जीवन में भौतिक, आध्यात्मिक सुखों का अभाव नहीं रहता। आदि गुरु शंकराचार्य जी कहते हैं-
श्रीयंत्र भगवती त्रिपुर सुंदरी का यंत्र है। श्रीयंत्र देवी लक्ष्मी का निवास स्थल, संपूर्ण ब्रह्मांड की उत्पत्ति तथा विकास का प्रतीक और मानव के ऊर्जा शरीर का द्योतक है। इसलिए इसे सर्वव्याधिनिवारक, सर्वकष्टनाशक, सर्वसिद्धिप्रद, सर्वार्थ साधक, सर्वसौभाग्यदायक भी कहा जाता है।
श्रीयंत्र के आभामंडल में जो भी व्यक्ति श्रद्धाभाव से निवास करता है, उसको इसके दिव्य प्रभाव से शांति, स्वास्थ्य, सफलता, कीर्ति, यश एवं सम्पन्नता मिलती है। सदैव सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है,
उसके भूमि के वास्तु, और गृहदोष दूर होते हैं, इसीलिए श्रीयंत्र को पौराणिक शास्त्रों में ‘यंत्र शिरोमणि’ (यंत्रराज) कहा गया है। रावण संहिता में वर्णन है कि ‘‘लक्ष्मी साधना’’ इस लोक की सर्वश्रेष्ठ साधना है, इसे रावण ने कुबेर से सीखा और इसी साधना की शक्ति से लंका को स्वर्णमय बना दिया।’’ श्रीयंत्र मां लक्ष्मी तक पहुंचने का प्रमुख माध्यम है। कहा भी गया है कि-
उत्साहसम्पन्नमदीर्घसूत्रक्रियाविधिज्ञ व्यसनेष्वसक्तम्।
शूरंकृतज्ञ दृढ़ सौहार्द्र लक्ष्मी स्वयं याति निवास हेतो।।
अर्थात् उत्साही, आलस्यहीन, कार्य करने की विधि जानने वाला, व्यसनों से रहित, शूर, उपकार करने वाला तथा दृढ़ मित्रता वाले मनुष्य के पास लक्ष्मी स्वतः निवास के लिए पहुंच जाती है।
सौभाग्य है कि विश्व जागृति मिशन से जुड़े लाखों भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु, उनके स्वस्थ जीवन, घर-परिवार में सुख-समृद्धि, आपदाओं व कष्टों के निवारण हेतु तथा सम्पूर्ण विश्व कल्याण, विश्व शांति के लिए परमपूज्य सद्गुरुदेव श्रीसुधांशुजी महाराज समय-समय पर ध्यान, जप, पूजन, पाठ, यज्ञ-अनुष्ठान आदि का आयोजन करवाते रहते हैं। इसी कड़ी में वर्षों से माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा हेतु भक्तों के लिए प्रति वर्ष तपोभूमि आनंदधाम आश्रम, नई दिल्ली में ‘‘श्रीगणेश-लक्ष्मी महायज्ञ’’ का आयोजन होता आ रहा है। इस महायज्ञ में सिद्धि प्रदाता भगवान गणपति और सर्वसुखदात्री मां लक्ष्मी के साथ ‘श्रीयंत्र’ का विशेष पूजन-अर्चन सम्पन्न होता है। महायज्ञ में महाराजश्री के मार्गदर्शन में विद्वान आचार्यों द्वारा विशेष रूप से पूजन-अर्चन करके सिद्ध किये हुये स्वर्ण पॉलिश युक्त ‘रजत श्री यंत्र’ एवं ‘स्फटिक श्रीयंत्र’ यजमान भक्तों को प्रदान किये जाते हैं। ‘श्रीयंत्र’ साधना एवं मां लक्ष्मी की वैभवभरी कृपा पाकर हर भागीदार गुरुभक्त साधक अपने सौभाग्य को सराहते देखे जाते हैं। इस वर्ष भी वह अवसर आ रहा है।
कहते हैं जिस तीर्थ परिसर में श्रीयंत्र विधि पूर्वक स्थापित हो, वह परिसर श्रीतीर्थ बन जाता है। वहां के दर्शन मात्र से दुर्भाग्य दूर होते हैं। अनुभवशील कहते हैं श्रीयंत्र भारतीय ऋषियों द्वारा अनुसंधित दिव्य वैभव से भरी विशेष ऊर्जावान उपलब्धि है। श्रीयंत्र में ब्रह्मांडीय दिव्य ऊर्जा को लगातार आकर्षित करते रहने और चारों तरफ सुख-शांति फैलाने की क्षमता होती है। विशिष्ट यज्ञ के दौरान आवाहित मंत्रें एवं देव शक्तियों के विशिष्ट प्रयोगों से इस ‘श्रीयंत्र’ में इस ऊर्जा शक्ति की मात्र बढ़ जाती है। इसीलिए महायज्ञ में पधारे साधक वर्षभर स्वस्थ, दीर्घजीवी, सुख, सौभाग्य तथा सम्पन्नता से भरे अनुभव करते हैं।
इस वर्ष महाराजश्री के पावन सान्निध्य में साक्षात माँ लक्ष्मी का वैभव पाने का सुअवसर पुनः आ रहा है। इस दौरान निर्धारित शुभ तिथि पर विशेष श्री प्रार्थना-पूजन के साथ वैभव लक्ष्मी की कृपा हेतु श्रीयंत्र को ‘सद्गुरु’ के हाथ से प्राप्त करके उसे अपने घर स्थापित करने एवं जीवन को सुख-शांति-समृद्धि एवं धनवैभव से भरने का अनुपम सुयोग प्राप्त होगा। हर कोई इसमें भागीदारी का सौभाग्य पाना ही चाहता है। आप सभी इसमें अवश्य पधारें। ऐसे पावन सुयोग का लाभ लेने व जीवन को माँ लक्ष्मी की कृपा के सौभाग्य से भर लेने हेतु महायज्ञ में भागीदार अवश्य बने, श्रीशक्ति के परम वैभव के अधिकारी कहलायें।
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