ॐ श्री परमात्मने नमः-3 , श्रद्धाभाव से परमेश्वर के प्रति अपने प्रणाम अर्पित कीजिए! हे दयानिधान कृपानिधान सच्चिदानंद स्वरूप परमेश्वर अनंत अनंत नाम हैं आपके! अनेक अनेक प्रकार से आपको लोग पुकारते है!
आप ही ब्रह्मा, विष्णु, महेश! कण कण मे रमने वाले राम भी आप हैं! और सबके ह्रदय का हाल जानने वाले गोविंद अंतर्यामी स्वरूप जो आपका गोविंद रूप है वह भी आप ही हो! आप ही वो महाशक्ति हो जो दुर्गति को नाश करने वाली, सबमें समृद्धि और शक्ति देने वाली शक्ति है!
आपके समस्त स्वरूप को हम प्रणाम करते हैं। दया करने वाले स्वरूप का ध्यान करते हैं!
आपकी दया को अनुभव करते हैं। हे प्रभु आप दयालु हैं! आपके इस स्वरूप को प्रणाम करते हैं। महसूस करते हैं कि आपकी दया हमेशा मिली है। आपकी करूणा के हम पात्र बने हैं।
हे प्रभु आप दाता हैं, आपका दिया हुआ ही सबको प्राप्त होता है। आपके इस दाता स्वरूप को भी प्रणाम करते हैं। आप सर्वशक्तिमान हैं और अपना कार्य करने में आप किसी की सहायता नहीं लेते। आपको सहायता, सहारा, आधार की आवश्यकता नहीं पड़ती।
हम सभी मनुष्य हमें हर समय ही सहारा भी चाहिए, आधार भी चाहिए, सहयोग भी चाहिए।
इसलिए हमें प्रभु आपका सहारा आपका आधार आपका सहयोग चाहिए। आपके इस स्वरूप को भी प्रणाम करते हैं! और अपने मन में ये संकल्प लेते हैं कि हम सर्व समर्थ तो नहीं बन सकते पर अधिक से अधिक आत्मनिर्भर और कर्मयोगी बनकर जी सकें। हे परमेश्वर! संसार के नियामक आप हैं। आपके नियमाें में सारा संसार बंधा हुआ है।
प्रेम करना उसकी भी अनंत अनंत शक्ति आपके पास है! लेकिन नियंत्रित करके सही दिशा में चलाना, गलत को हटाना, दंडित करना ये रुद्र रूप भी आपका है। जब आप प्रेम देते हैं तो खुशियों से भर देते हैं लेकिन जब दंडित करते हैं तो बहुत कठोर हो जाते हैं। बचाना, व्यवस्थित करना, नियंत्रण करना ये भी आपका रूप है। संकटमोचक भी आप हैं, दुखत्राता भी आप हैं।
सभी संकटों का निवारण आपकी कृपा से ही होता है। आपके इस स्वरूप को भी प्रणाम करते हैं। प्रणाम प्रणाम प्रणाम बारंबार प्रणाम!
हे प्रभु हम सब के प्रणाम स्वीकार करो! और अपने बच्चों पर हमेशा कृपा रखना।
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Bahut bahut badhai