दोनों हाथ जोड़िए और प्रेम से आंखें बंद कर लीजिए। भगवान की भगवत्ता को अपने हृदय में धारण करने के लिए और प्रभु की कृपाओं को हम अपने जीवन में चमत्कृत करने के लिए, अपने माथे को शांत करें, अपनी आंखों में प्रेम भरें, चेहरे पर प्रसन्नता का भाव लाइए, संतुष्ट और शांत-तृप्ति अनुभव करते हुए अपने तन से, मन से, प्रभु के प्रति धन्यवादी हों।
अब तक के जीवन के लिए जो भी सुरक्षा, सुविधा, सुख, शांति आपने प्रदान की है प्रभु, बारंबार आपको प्रणाम करते हैं। आपकी समस्त कृपाओं के प्रति आभारी हैं। जीवन की धारा निरंतर बह रही है। भविष्य अंधकार में है।
उसके ऊपर काला पर्दा पड़ा हुआ है। कोई भी नहीं जानता कि आने वाला समय कैसा होगा। लेकिन अच्छी उम्मीदों के साथ प्रत्येक व्यक्ति हर दिन जागता है और हर दिन यह कामना करता है, कि अंधेरे छटें और जीवन में खुशियां आएं।
हे प्रभु! जब आपकी कृपा और आशीर्वाद चलता है तो बुद्धि सुबुद्धि बनती है। दिव्य योजनाओं के साथ मनुष्य अपने कर्मों को करता है और जीवन में सफलताएं आती हैं। हम पर आपका आशीष बरसे, हमारी बुद्धि-सुबुद्धि रहे, मन में शांति और संतुलन बना रहे, ह्रदय प्रेम से भरा रहे और जब तक यह जीवन चले हम कर्मठ बने रहें।
सहारे और सहायता की आवश्यकता हमें कभी न पड़े। स्वयं में आत्मनिर्भर हों, समर्थ हों और अपनी खुशियां दूसरों में ना तलाश करके अपने अंदर खुशियों को जगाएं। अपने से अपनी खुशियों को बाहर तक फैलाएं।
अपने अंदर के प्रेम में, अपने अंदर के आनंद में, अपने अंदर की खुशियों में हम लबालब भरे रहें, हमें आशीर्वाद दीजिए। प्रभु! आपका आशीष हमारे जीवन में हमेशा चलता रहे, गुरुजनों के प्रति हमारी श्रद्धा, हमारी निष्ठा बनी रहे। हमारा जीवन धन्य हो।
आप के दर पर आए हुए सभी भक्तों को अपनी कृपा दीजिए, सबकी झोलियां भरिए। हमारी विनती को स्वीकार करना भगवान! यही प्रार्थना है, यही याचना है यही अभ्यर्थना है इसे स्वीकार कीजिए प्रभु!