कोमलता से अपनी आंखें बंद कर लें, माथे पर शान्ति, मन में संतुलन । सहज हों। प्रभु की कृपाओं को अनुभव कीजिये और मन-मन में जो नाम जो मंत्र आप जपते हैं जो इष्टदेव को जपते हैं, प्रभु का जो स्वरुप आपके आँखों में और आपके ह्रदय में जो है उसे ध्यान में लाइए और तीन बार भगवान का नाम मन-मन में उच्चारण कीजिये । और मन-मन में ही प्रभु से आशीष मांगिये।
तथास्तु कहते हुए महसूस कीजिये। परमात्मा के रक्षा भरे हाथों को सशक्त हाथों को सर्वशक्तिमान को जो हमारे आगे-पीछे दाएं-बाएं हमारे भीतर-बाहर सब ओर है उसके रक्षा भरे हाथों को महसूस कीजिये। “तू मेरा राखा सबनी थाई” कोई जगह ऐसी नहीं जहाँ तू मेरा रक्षक बनकर साथ नहीं है। मन-मन में प्रणाम कीजिये प्रभु को। अनंत-अनंत कृपा और दया के लिए आभारी हूँ भगवान, मेरा हाथ पकड़े रहना, साथ निभाया है साथ निभाते रहना।
तुझसे बड़ा साथी दुनिया में कोई नहीं है प्रभु। तू ही सब कुछ है तू ही सर्वस्व है, तू सबका है पर मेरा तो है ही क्यूंकि मैं तेरा हूँ और सर्वत्र तू ही तू, तू ही तू, तू ही तू, तू ही तू, तू ही तू है प्रभु, सब तेरा ही है।
स्वयं को तुम्हारे चरणों में समर्पित करता हूँ तुम्हारा होने के लिए तुम्हारे रंग में रंगने के लिए तुम्हारे प्रेम से युक्त होने के लिए और तुम्हारे आनंद की किरणों को अपने भीतर भरकर बाहर संसार में व्यवहार में प्रकट करने के लिए स्वयं को तुम्हें समर्पित करता हूँ। अपनी कृपा बनाये रखना प्रभु मेरे निवेदन को स्वीकार करना।
एक दिन तो बिताए आनन्दधाम आश्रम में! , मान और अपमान के चक्रव्यूह से बचें! , हे प्रभु संसार में जीने के युक्ती दीजिए