जगतपिता जगतनियन्ता परमेश्वर से अपना सम्बन्ध जोड़िये। श्रद्धाभाव से अपने प्रभु को प्रणाम करें। घट-घट वासी अन्तर्यामी परमेश्वर, हमारे प्राणों का भी प्राण है, आंखों में ज्योति देने वाला और इस पूरे संसार की ज्योति वही है इसलिये वह ज्योति स्वरूप है। हमारी बुद्धि भी जिसके कारण काम करती है इसलिये समस्त ज्ञान का स्वरूप भी भगवान है।
पतित से पतित को भी पावन करने वाली शक्ति प्रभु है। जल हमारे शरीर के मैल को धोता है, शांति हमारे मन को शांत करती है, प्रेम हमारे हृदय को द्रवित करता है। लेकिन जिससे यह सारी शक्तियां और सारी किरणें प्रकट होती हैं और जो हमारे तन को, मन को, आत्मा को, बुद्धि को, अन्तःकरण को शुद्ध करे, पवित्र करे वह महाशक्ति पतित पावन परमेश्वर है।
उस प्यारे परमेश्वर से अपना ध्यान लगाते हुए सर्वप्रथम प्रार्थना करें, कि हे पतित पावन! हमारे समस्त दोष, खोट, मैल, क्लेश, पाप वृत्तियों को आप नष्ट कीजिये। हमें शुद्ध कीजिये क्योंकि शुद्ध होकर के ही हम आपकी गोद में आ सकते हैं, आपके कृपा पात्र हो सकते हैं। प्रभु आपसे ये भी कृपा करें कि शुद्ध होने के बाद हम अशुद्ध होने की दिशा में न चलें। हमारी मानसिक दृष्टि भी बदले।
पवित्र हों और पवित्रता की ओर ही चलें। जीवन के अंधेरे से प्रकाश की ओर आयें और फिर प्रकाश की ओर ही हमारी रुचि हो, अच्छे हो जायें और फिर अच्छाई की ओर चलने की ही प्रवृत्ति हो। धर्म जीवन में आ जाये, धार्मिकता आ जाये और उसके बाद हम धर्म का ही आचरण करते रहे अधर्म का नहीं।
हमें आशीष दीजिये जीवन पवित्र हो, शुद्ध हो और यह आपकी राह पर चले। हम अपने आपको और ऊंचा उठाते जायें। हर दिन हमारा विकास हो, हर दिन हमारी उन्नति हो। हम इस संसार में कमल की फूल की तरह संसार के सरोवर में ऊपर उठकर इस धरती की शोभा बनें, इस संसार को शोभायमान करें।
अपने चेहरे की की मुस्कुराहट प्रसन्नता में खिलें और आपका धन्यवाद करते हुए जीयें, शिकायत करते हुये नहीं। प्रभु आशीष दीजिये। सभी का कल्याण हो।
1 Comment
जय हो सदगुरु देव महाराज जी आपकी जय हो शुक्रिया बहुत बहुत शुक्रिया आपकी हर दैन के लिए शुक्रिया आपकी क्रपा द्रष्टि सभी भक्तों पर सदैव बनी रहे औम गुरुवै नम