हे करुणासिन्धाु! हम भी करुणावान हों, दयालु हों।
हे सच्चिदानन्द स्वरूप! कण-कण में बसने वाले हे राम आपने ही अपने स्वरूप से पूरे संसार को मर्यादा में रहने के लिए, धर्मपालन करने के लिए शिक्षाएं दी। बड़ों के प्रति आदर व्यक्त करने का निर्देशन दिया।
महान कर्त्तव्य के लिए अनेक प्रकार के कष्ट सहकर भी मुस्कुराते हुए लक्ष्य को पूरा करना ये संदेश आपने दिया। दीन-दुःखी सबको गले लगाकर करुणा बरसाना ये आपका स्वरूप हमारे लिए आदर्श है।
हे राम! हम आपकी शरण में हैं। अपने जीवन को मर्यादा की ओर लेकर चलें। हमें आशीष दीजिए हम अपने जीवन में कुछ सिद्धांतों और धर्म के अनुरूप जीवन जी सकें, ये कृपा हम पर कीजिए।
अपने बड़ों के प्रति आदर, अपने सम्बन्धों को ठीक ढंग से निभाना, अतिशय प्रेम को चरम तक लेकर जाना, ये कृपा भी हमें आप प्रदान कीजिए। हम आपसे निवेदन करते हैं जिस प्रकार से आप सभी दीन-दुःखी, पीड़ित-शोषित सबके लिए करुणा करते रहे।
हे करुणासिन्धु!
हम भी करुणावान हों, दयालु हों। जिस प्रकार से आपने अनेक-अनेक तप सहते हुए महान कार्यों के लिए कष्ट सहते हुए, मुस्कराते हुए इस संसार को बहुत कुछ दिया। हम इस दुनिया में बहुत कुछ देकर जा सकें, लेने की कामना न हो, देने की भावना हो। हमें आशीष दीजिए हमारा जीवन आनंदित हो, हमारा जीवन सफल हो, यही विनती है।
शांतिः शांति शांतिः