अपने करुणा जल से मेरे जीवन को धोकर निर्मल बना दो। नही तो मेरे हाथ तेरे चरणों का स्पर्श कैसे करेंगे ? तुझे अर्पित करने को जो फूलों की डाली सजायी थी वह देख , कितना मैली हो गयी ।
अब मैं अपना जीवन तेरे चरणों पर कैसे कर सकूंगा? इतने दिन मुझे कोई दुःख नही था मेरे अंग अंग पर मेल लगा था।
आज तेरी शुभ गोद के लिए मेरे प्राण रो रहे हैं, नही नही अब कभी धुलीमे मुझे सोने नही देना ।
हरि ॐ!