मानवता की सच्ची सेवा ही राष्ट्र धर्म है
(विश्व शान्ति दिवस 21 सितम्बर पर विशेष)
किसी भी देश की प्रगति के लिए देश में अमन एवं शान्ति का होना अति आवश्यक है। देश के लोगों में आपसी प्रेम, सौहार्द एवं परोपकार की भावना का उदय होगा तभी शान्ति कायम की जा सकती है। दुनियाँ में बहुत से महापुरुष हुए हैं जिन्होंने अपने-अपने देश में शान्ति का पाठ पढ़ाया है और उन्हें शान्ति पुरूस्कार से नवाजा गया है।
विश्व शान्ति दिवस का शुभारम्भ :
वर्ष 2002 से पहले 19 वर्षों तक सितम्बर महीने के तीसरे मंगलवार को विश्व शान्ति दिवस मनाया जाता था। इसके बाद वर्ष 2002 से 21 सितम्बर के दिन को स्थाई रूप से विश्व शान्ति दिवस के रूप में घोषित कर दिया गया। सम्पूर्ण विश्व में शान्ति कायम करना आज संयुक्त राष्ट्र का मुख्य लक्ष्य है। आज विश्व में चारों ओर आतंकवाद और युद्ध जैसा माहौल बनता जा रहा है, इसी प्रकार के संघर्ष को रोकने और शान्ति की संस्कृति विकसित करने के लिए ही संयुक्त राष्ट्र का जन्म हुआ है। इस संघर्ष, आतंक एवं अशान्ति के दौर में अमन की अहमियत का प्रचार-प्रसार करना बेहद जरूरी है। इसलिए वर्तमान युग में संयुक्त राष्ट्र संघ, उसकी तमाम संस्थाएं और सरकारें प्रतिवर्ष 21 सितम्बर को विश्व शान्ति दिवस का आयोजन करती हैं। अमन एवं शान्ति का सन्देश दुनियाँ के कोने-कोने में फैलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने कला, साहित्य, संगीत और खेल के क्षेत्र की विश्व विख्यात हस्तियों को आपस में मिलाकर शान्ति स्थापित करने की पूरी कोशिश की गई है।
विश्व शान्ति दिवस का मूल उद्देश्य :
विश्व शान्ति दिवस का मूल उद्देश्य दुनियाँ में शान्ति बनाए रखने के लिए अहिंसा का सहारा लेना अनिवार्य है। अहिंसा से ही दुनिया में अमन एवं शान्ति कायम होगी। विश्व शान्ति दिवस दुनियाँ के सभी गणराज्यों और नर-नारी के बीच स्वतंत्रता, अमन और शान्ति से रहने का संदेश देता है। घर या बाहर सभी व्यक्तियों को शान्ति बहुत ही प्रिय होती है। आज के आधुनिक युग में व्यक्ति अपनी महत्वाकांक्षा को दिन प्रतिदिन बढ़ाता जा रहा है और घर-परिवार, समाज एवं राष्ट्र के विकास हेतु उसके पास समय ही नहीं बचता जिसके कारण वह शान्ति से दिन-प्रतिदिन इससे दूर होता जा रहा है। आज हम जिधर भी नजर घुमाते हैं, उसके चारो तरफ आतंकवाद, हिंसा, युद्ध, आपदा से घोर अशान्ति दिखाई देती है। आज पर्यावरण प्रदूषण के कारण पृथ्वी, आकाश एवं सागर सभी अशांत है। परस्पर स्वार्थ और घृणा ने मानव समाज को विखंडित कर दिया है। प्राचीनकाल से ही विश्व शान्ति का सन्देश दिया जाता रहा है। आधुनिक युग में इसको अमल में लाने वालो की संख्या दिन प्रतिदिन घटती जा रही है। विश्व के कोने-कोने में शान्ति का सन्देश फैले, यही विश्व शान्ति दिवस का लक्ष्य है।
मानवता की सच्ची सेवा ही राष्ट्र धर्म है :
प्राचीन काल से देश-विदेश में अनेकों धर्म-गुरुओं ने शान्ति का सन्देश देकर यह बताने का प्रयास किया है कि मानवता की सच्ची सेवा ही सच्चा धर्म है। यदि व्यक्ति मानवता की सेवा में पूर्णतः तल्लीन हो जायेगा तो दुनियाँ में गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी, अहंकार, घृणा, दुष्टता एवं धन एकत्र करने की प्रवृति स्वतः ही समाप्त हो जायेंगी। इससे एक उन्नत विश्व की स्थापना होगी तथा सभी एक-दूसरे की मदद के लिए तैयार रहेंगे। विश्व में प्रत्येक देश की भाषा, संस्कृति, पहनावे भिन्न-भिन्न हो सकते हैं लेकिन सभी के कल्याण का मार्ग सिर्फ और सिर्फ मानवता की सेवा है। हमें नफरत को छोड़कर प्रेम के मार्ग पर चलना चाहिये तथा अमन- शान्ति के साथ समय व्यतीत करना चाहिए। हम इसके लक्ष्यों को तभी हासिल कर सकते हैं जब अपने जीवन में इसका पालन करें, इसकी शुरूआत हमें अपने परिवार, समाज एवं अपने छात्र जीवन से ही करनी होगी। हमें यह संकल्प लेना होगा कि किसी के साथ हिंसा नहीं करनी चाहिए और न हिंसा करने वाले किसी मित्र का साथ देना चाहिए। हमें अपने दोस्तों को शान्ति कायम रखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। आजकल विश्व में धर्म के नाम पर लोगों को बाँटने की प्रवृति बढ़ती जा रही है, इसलिए हमें किसी को भी जाति, धर्म के प्रति मन में भेदभाव या कटुता नहीं रखनी चाहिए तभी हम बड़े होकर देश एवं विदेश के अच्छे नागरिक बन सकते हैं।
भारत और विश्व शान्ति :
भारत के प्रथम प्रधान मन्त्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने विश्व में शान्ति और अमन स्थापित करने के लिए पाँच मन्त्र दिये थे जिन्हें पंचशील सिद्धान्त भी कहा जाता है। ये पंचसूत्र जिसे पंचशील भी कहते हैं मानव कल्याण तथा विश्व शान्ति के आदर्शों की स्थापना करने के लिए विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक व्यवस्था वाले देशो में पारस्परिक सहयोग के पाँच आधारभूत सिद्धान्त हैं इसके अन्तर्गत निम्नलिखित पाँच सिद्धान्त बताये गये हैं।
१. एक दूसरे की प्रादेशिक अखंडता और प्रभुसत्ता का सम्मान करना।
२. एक दूसरे के विरूद्ध आक्रामक कार्यवाही ना करना।
३. समानता और परस्पर लाभ की नीति का पालन करना।
४. शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व की नीति में विश्वास करना।
५. माना जाता है अगर उपरोक्त पाँच बिन्दुओं पर अमल करें तो हर तरफ चैन और अमन का ही वास होगा।
सभी शुभ अवसरों पर सफेद कबूतर उड़ाना :
भारत में प्राचीन काल में सन्देश वाहक का कार्य कबूतरों से लिया जाता था क्योंकि कबूतर बहुत ही सीधा और शान्तिप्रिय पक्षी है। इनमें से सफेद कबूतर शान्ति का प्रतीक माना जाता है। विश्व शान्ति दिवस के उपलक्ष्य में हर देश में जगह-जगह सफेद रंग के कबूतरों को उड़ाया जाता है जो कहीं न कहीं पंचशील के ही सिद्धान्तो को दुनियाँ तक फैलाते हैं।
निष्कर्षः
आज के आधुनिक युग में चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल विकसित हो रहा है, विश्व में लड़ाई, आतंकवाद और एक दूसरे के धर्म को नीचा दिखाने की प्रवृति षड़यन्त्र के रूप में फैलाई जा रही है। अतः हमें इन सब कुचक्रों से अपने आपको बचाते हुए अपने चारों तरफ मानवता एवं शान्ति की बात फैलानी होगी।