यह सत्य हम सबके जीवन पर हर पल लागू होता रहता है। भले प्रमादवश इसकी अनुभूति न कर सकें। पर ध्यान रहे हमें नीचे गिराने व उठाने का कार्य करते है हमारा मन और उसमें पैदा होने वाले हमारे सकारात्मक व नकारात्मक विचार। सकारात्मक विचार मन में शुद्ध कल्पना शक्ति भरते हैं, मन को दृढ़ बनाते हैं। दृढ़ मन से ही जीवन महान होता है। मनोविश्लेषकों का मत है कि विचारों के प्रवाह को प्रवाहित करने वाली शक्ति मन है, इसलिए ध्यान रहे कि मन में उठने वाले विचार दूषित न हों।
इसके लिए ऐसे ग्रंथ पढ़े जो सकारात्मक विचार मन में लायें। महापुरुषों का जीवन, धार्मिक ग्रन्थ और धार्मिक पुस्तकें पढ़ें, जो विचारों को पवित्र और सुन्दर बनाते हैं और उन विचारों की महक चारों ओर फैलती है। मन के बदलने से ही व्यवहार-विचार, दृष्टिकोण और कल्पनायें भी प्रभावित होती हैं। कहते हैं शान्त मन व्यक्ति के अस्तित्व के करीब होता है।
यदि कभी निराशा की स्थिति आये भी, तो अपना दृष्टिकोण बदल कर सोचें कि हर रात के बाद सवेरा होगा, हर दुःख के बाद सुख आयेगा और इस भाव को दोहराते रहें। घबरायें नहीं, अपना धीरज न छोडे़, निराशा की कालिमा मन के कागज से हटा कर, उसमें सुन्दर विचारों का रंग भरना यही तो है। जिससे एक दिन व्यक्ति शक्तिवान बनता है, उसकी मनः स्थिति शक्तिशाली हो जाती है। महापुरुष मन को इसी आधार पर शक्ति में रूपांतरित करने की बात कहते हैं। वास्तव में यदि स्वैच्छाचारिता को सदविचारों के द्वारा रूपान्तरित कर सके, तो जीवन में दैवीय वृत्ति, श्रेष्ठता का आसन सहज प्राप्त होगा और अन्दर का देवता प्रकट होगा।
मनुष्य का मन दो तरह की दृष्टि वाला होता है, एक दोष दृष्टि और दूसरा गुण ग्राहक। मन को दोष दृष्टि वाला बनायेंगे, तो बुराई के अलावा कुछ देखने को नहीं मिलेगा। तब सदैव बुरे नकारात्मक विचार ही मन पर जमते जायेंगे। बुरे विचार सदा व्यक्ति को तोड़ने का काम करते हैं, जोड़ने का नहीं। नकारात्मक विचार छल, कपट, उत्तेजना, झूठ, निराशा पैदा करते हैं। नकारात्मक विचार अंतःकरण में घबराहट और अनुशासनहीनता जैसे विकारों को जन्म देते हैं। व्यक्ति में नशा करने तक की आदत बन जाती है, वह आलसी बन जाता है और जिन्दगी बोझ बन जाती है। वैसे भी अशान्त मन अपने अस्तित्व को भूला रहता है। ऐसे में हीनता भरे विचार व्यक्ति के व्यक्तित्व को नीचे गिरा देते हैं और व्यक्ति टूटता जाता है।
यह भी कटु सत्य है कि कभी-कभी जीवन में बहुत कुछ अनचाहा आता है, जो चाहते हैं वह नहीं मिलता, ऐसे अनचाहे भावों से मन कहीं-न-कहीं टीस से भरता है। यदि इसी भाव को हम अंदर तक बैठा लिए तो जीवन जीना दूभर हो जाता है। क्योंकि गलत नकारात्मक विचार अन्तःकरण पर हावी हो जाते हैं और जीवन को नारकीय बनाते हैं।
जबकि सकारात्मक सोच हमें सदैव अपनी दृष्टि को बदल कर उसे सकारात्मक करने पर जोर देती हैं। किसी महापुरुष ने कहा है कि गलत विचारों का स्वागत न करें, अच्छे विचारों के लिए जगह बनायें। सदैव व्यक्ति को सकारात्मक विचारों की सेना तैयार करके रखनी चाहिए अर्थात हर निगेटिविटी को काटकर समाप्त कर देने वाले विचारों को मन में जमाकर रखने चाहिए। जिससे जब भी कोई नकारात्मक विचार आये तत्काल उसके विपरीत वाला सकारात्मक विचार चिंतन प्रारम्भ करें। इससे मन मजबूत होगा। आत्म विश्वास बढ़ेगा।
वैसे भी जीवन में सबको सबकुछ नहीं मिलता, कुछ-न-कुछ कमी तो हर किसी में रहती ही है। अतः क्यों न हमें जो मिला है, उसकी खुशी मनायें। हमेशा कमी के गम में क्यों डूबे। यह भी जीवन को आशाओं से भरने की महत्वपूर्ण धारणा है। ज्यों ही व्यक्ति ऐसे सात्विक भाव अन्दर लाएगा, मन में शान्ति आयेगी और अंदर तक परिवर्तन आने लगेेगा। ऐसे में व्यक्ति वह दूसरों के हाथ की कठपुतली बनने से बचेगा। कहते भी हैं “दृष्टि बदलो, सृष्टि बदलेगी” और ‘‘विचार बदलो-जिन्दगी बदलेगी।’’ हमें भी श्रेष्ठ विचारों के प्रवाह से मन की कंगाली को तोड़ना है। यदि ऐसा कर सके तो निराशा भी दूर होगी और जीवन का विस्तार होगा। तब हम भी किसी व्यक्ति का जीवन बदल सकते हैं। वास्तव में हमारा आनन्द, हमारी खुशियां सब हमारे विचारों में ही तो हैं।
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Ji guru ji such hai Mai Vishal apka satsang Gyan Kai varsho se Santa a raha hu sada humedha sakratmk vichar uthtey hai apk Satya vachano se Hume hamesha lgta hai bhagwan shiv apko nimati bn k Hume Gyan de rahe hai
Omshanti