सर्दियों में आहार-विहार की लापरवाही से वैसे हर किसी का स्वास्थ्य प्रभावित होता है, लेकिन बुजुर्गों को इस दौर में सर्वाधिक कठिनाई से गुजरना पड़ता है। उनमें मौसमी समस्यायें जन्म लेती ही हैं। जहां शुरुआती दौर में थकान, गले में खराश, नाक बंद होना, सिर दर्द, हल्का बुखार, जुकाम, छींक, स्वाद और सुगंध में अरुचि के साथ सर्दी-खांसी और जुकाम के वायरल संक्रमण बढ़ते हैं। वहीं किसी पुरानी बीमारी से ग्रसित बुजुर्ग के लिए ठंढक का मौसम अधिक परेशानी का कारण बन जाता है। ठंढ में तापमान गिरावट के कारण शरीर की नश-नाड़ियां सिकुड़ने से हृदय व ब्रेन अटैक की सम्भावना बढ़ती है। इसी प्रकार जोड़ों से जुड़ी समस्या, जोड़ों में जकड़न, सूजन आदि आ जाती हैं। भारी व वसा वाला भोजन करने से हारमोंस जन्य असंतुलन पैदा होता है, जिससे तनाव, चिड़चिड़ापन का बढ़ना, दमा, अस्थमा, ब्लडप्रेशर आदि बढ़ते हैं। इन सबका एक मात्र उपाय सावधानी है।
यद्यपि इस मौसम में बच्चे खेलते रहने एवं बड़े कार्य में व्यस्त रहने के कारण मांसपेशियों में जकड़न से बचे रहते हैं, पर बुजुर्ग सामान्यतः क्रियाशील नहीं रहते, इसलिए उन्हें दर्द-जकड़न का सामना करना पड़ता है। अतः बुजुर्गों को हर सम्भव व्यायाम, तेलमालिश, धूपसेवन, गर्म पानी से जोड़ों की सिकाई करने का प्रयास करना चाहिए। इससे बहुत आराम मिलता है।
देखा गया है कि सर्दी के मौसम में प्यास कम लगती है, पानी की कमी से स्किन, नाक, फेफड़े व गले के अंदरूनी भाग में ड्राइनेस आ जाती है। इसलिए कोशिश करें कि सर्दियों में मौसमी फल, सब्जी लें। कम से कम 7 घंटे की नींद लें। सर्दी के मौसम में अगर शरीर थका हुआ, इम्यून सिस्टम कमजोर है, तो सर्दी जुकाम लगातार बना रह सकता है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है। ऐसे में भी जरूरी है कि मौसमी फल व सब्जियों का सेवन करें। गाजर, संतरा, हरे पत्तेदार सब्जियाँ, मौसमी फल, सूखे मेवे और आंवला आदि के सेवन से शरीर को मौसम के प्रभाव से लड़ने में मदद मिलती है।
ठंड में तापमान गिरने पर मांसपेशियों में जकड़न एवं जोड़ों में दर्द बढता है। कुछ लोगों के जोड़ों में सूजन आ जाती है। बुजुर्गों को इस मौसम में अधिक परेशानी होती है। व्यायाम, धूप सेवन, मालिश, गुनगुने पानी से नहाने या जोड़ों की गर्म पानी से सिकाई करने पर यह परेशानी सहज कम हो जाती है। खान-पान का ध्यान रखें, वजन व मोटापा न बढ़े इसका ध्यान रखें।
* पौष्टिक आहार के साथ सर्दियों में मौसमी फल और सब्जियां खाएं।
* सर्दियों में ड्राइ फ्रूट बादाम, काजू, किशमिश, जो पोषक तत्वों से भरपूर हैं, इनका सेवन करें।
* मक्का, बाजरे की रोटी-मखन, घी दूध, गुड के साथ सेवन भी लाभकारी है।
* इस मौसम में अत्यधिक तनाव लेने से भी बचें।
* यदि शरीर संक्रमण ग्रस्त हो, सर्दी, जुकाम या बुखार से पीड़ित हो तो ज्यादा से ज्यादा आराम करने की कोशिश करें।
* खाने-पीने में तेल-घी जैसे तले-भुने आहार से सावधान रहें।
* सीमित सुपाच्य साधारण आहार लें।
* वायरल बुखार व खराश होने पर नमक
डालकर गुनगुने पानी से गरारे करें। इससे गले की खराश और सर्दी की अन्य समस्याओं में आराम मिलता है।
* शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए सतत कार्यशील रहें।
* पर्याप्त नींद और खानपान सही रहे। ठण्ड के पोषक पदार्थ और जड़ी-बूटियों का सेवन करके सर्दियों के अनेक संक्रमण से सहज बचा जा सकता है।
* बुजुर्गों के लिए शरीर को गर्म रहना भी आवश्यक है, इम्युनिटी पावर भी बढ़ायें।
* अगर पहले से अस्थमा, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर जैसा कोई रोग है, तो सर्दी में खान-पान का विशेष ध्यान रहना आवश्यक है।
* दिनभर में कम से कम 8 गिलास पानी जरूर पियें। गरम तरल पदार्थों का सेवन करें।
* ग्रीन टी सेवन भी सर्दी के अनेक संक्रमण से दूर रहती है।
* सर्दी में नियमित हल्का व्यायाम अपनाएँ।
* शरीर को ऊर्जा और गर्म बनाये रहने के लिए हल्का-फुल्का योग और व्यायाम बेहद जरूरी है।
* मन को तनाव मुक्त रखने के लिए सत्संग, भजन, ध्यान, जाप, गुरु संदेश श्रवण, दर्शन वेहद लाभ दिलाता है।
इस प्रकार हमारे उम्रदराज सही, संतुलित
आहार एवं चिकित्सकीय परामर्श अपनाकर सर्दियों में निरोग-स्वस्थ रह सकते हैं। सर्दी का समुचित आनन्द ले सकते हैं।
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Yes,so true and very informative.thanx guruji.my family always follows ur advice and preach.thanx once again guruji.