इस पवित्र बेला में अपने भगवान से जुड़ें, और अपने हृदय का संवाद प्रर्थना के रुप में अपने भगवान से करें!
तू दयालु, तू कृपालु, तू ही परम पावन, तू ही सर्व शक्तिमान, तू ही कण-कण में है, हर घट में है, हमारे अंदर भी है, हमारे बाहर भी है सब रिश्ते तुझसे हैं मेरे भगवान!
तू हमारी शक्ति है और तू ही हमारा संरक्षक भी है।
तेरा सहारा ऊपर भी है और तू ही तो आधार भी बना हुआ है।
क्षमताएं दी गई, बुद्धिमत्ता दी गई, हाथ पांव दिए गए कर्म करने के लिए!
लेकिन पिछले जन्मों के संस्कार जो आदतें बन गई, इस जन्म में जो बचपन से हमने सीख लिया।
जैसे परिवेश और परिस्थितियों में हम जीने लग गए,
उससे माया का प्रभाव इतना अद्भुत आ गया कि शेर होकर भी हम गीदड़ की तरह रहते हैं।
राजा होकर भी रंक की तरह व्यवहार करते हैं। सबकुछ होते हुए भी हम भिखारियों की तरह व्यवहार करते हैं।
हंसना भूल गए, खुश रहना भूल गए, प्रेमपूर्ण होना भूल गए अपनी शांति खो बैठे, अपनी शक्ति भूल बैठे!
प्रभु फिर से हमें हमारी पहचान दो, हमें हमारी स्मृति दो, हमारे अंदर वो जागृति दो कि हम स्वयं को भी पहचानें और इस संसार के कार्यों को करते-करते हम आप तक पहुंचें!
अपने भीतर भी हम समृद्ध हो सकें, सशक्त हो सकें, सक्षम हो सकें!
आशीष दीजिए सबका कल्याण हो! यही हमारी मंगल प्रार्थना स्वीकार हो!