हे जगदम्बा, हे जगजननी हे दुर्गा, दुर्गति नशिनी हे मां परमेश्वरी, श्रृद्धा भाव से हम सभी आपके बालक बालिकाएं आपको प्रणाम करते हैं।
सुबुद्धि की कामना करते हैं! मेधा की कामना करते हैं, युक्ती की, मुक्ती की, भुक्ति की, ये हमारी कामना है! युक्ति पूर्वक इस संसार में हम जियें, कठिनाईयों को बुद्धिपूर्वक सुलझा सकें, आंतरिक रुप से हम समृद्ध खुशहाल बने रहें।
हमारे भीतर वह शक्ति देना ! कि कभी हमारा धैर्य हमारा हौंसला न टूटे, स्थिरता अपनाएं! भक्ति भी रहे, युक्ति भी रहे पर भुक्ति भी हो, भोग एश्वर्य भी जीवन में प्राप्त हों
लेकिन उस बंधन में न बंधें। मुक्ति भी आए कष्टों से, दुखों से, परेशानियों से मुक्त हो सकें।
सुख समृद्धि धन धान्य सब आपकी कृपा से सबको प्राप्त हों! रोग-शोक कष्ट कलेश सबके मिटें, उत्तम आरोग्य और महा सौभाग्य आप प्रदान करना मां जगदम्बा।
आपकी शरण में आए हुए जो भी भक्त हैं सबकी झोलियां भरना, सबको मालामाल करना, निहाल करना। सबके चेहरे पर मुस्कुराहट देना, मन में शांति और संतुलन बनाएं रखना, हृदय प्रेम से भरा रहे, अंग-अंग में कर्म करने का जोश बना रहे,
ये हमारे पग लक्ष्य की ओर बढ़ें । भटकाव जीवन में न रहे। सब पर अपनी करुणामयी दृष्टि डालिए, सभी का कल्याण हो। प्रार्थना स्वीकार कीजिएगा।
ॐ शान्ति: शान्ति शान्ति: ॐ
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Jai Mata di gurudev ji charan kamlon koti koti pranam