प्रार्थना
दोनों हाथ जोड़कर सभी मन ही मन अपने ईज्वर को स्मरण कीजिये, उनके स्वरूप का ध्यान कीजिये। अनुभव कीजिये कि आप एक महान शक्ति जो धरती, आकाज, ब्रह्माण्ड तक फ़ैली हुई है उसे अपना हाथ पकड़ा रहे हैं, इस भव सागर से पार होने के लिये और अपना आत्म कल्याण करने के लिये प्रार्थना यही कि मुझे अपने धार्म मार्ग पर, सत्य मार्ग पर, अपने प्रेम के मार्ग पर कुछ कदम आगे बढ़ने के लिये मेरी सहायता करो। शेष पग, बाकी कदम में स्वयं उठा लूंगा। जब गिरूं तो सम्भाल लेना, भटकूं तो मुझे राह दिखाना। जब उलझ जाऊं, उलझन सुलझाने की बुद्धि देना। जब कर्त्तव्य भूल जाऊं, मुझे मेरा कर्त्तव्य, मेरा फ़र्ज याद दिलाना। मुझे मेरे सद्गुरु के प्रति श्रम की सम्पदा देकर उसे बढ़ाते रहना। मेरे जीवन के नियम अखंड हों, मेरा धयान प्रभु आपके चरणों में अखंड हो। मेरा कोई भी कर्त्तव्य शेष न रहे इस संसार में। एक कर्मयोगी का जीवन कर्मठता से व्यतीत कर सकें और कमल के पुष्प की तरह इस संसार सरोवर में ऊपर उठकर शोभायमान हों और ये पुष्प आपके चरणों तक पहुंच सकें ये आशीष हमें दीजिये। हमारा वंदना को स्वीकार करना प्रभु!