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गुरु की महिमा अनंत है , कोई अंत ही नहीं इसका – कोई शब्दावली भी इसको पूरा नही कर सकती क्योंकि गुरु व्यक्ति नहीं शक्ति हैं
गु- का अर्थ होता है अंधकार ओर रु- का अर्थ है प्रकाश यानी जो हमे अंधकार से निकालकर प्रकाश कीओर ले चलें, वही तो सदगुरु है |
इस अंधकार भरे जीवन मे प्रकाश की किरण बनकर सदगुरु आते हैं , अपनी दिव्य ज्योति हम मूढ़ता से भरे व्यक्तियों में प्रवेश कराकर हमे शुद्ध, पवित्र बना देते हैं जिससे हम परमात्मा के पथ के पथिक बन सकें |
सबसे पवित्र, सच्चा ,खरा ,निःस्वार्थ रिश्ता सदगुरु का होता है ! बाकी सांसारिक रिश्ते तो स्वार्थवश ही अपना संबंध रखते हैं अपनी कामनाओं की पूर्ति के लिए , यदि उनकी कामना पूर्ति ना हो तो वे छोड़कर दूर चले जायेंगे :: बस गुरु ही हैं जो दुख भरे क्षणों में भी अपना आशीष भरा हाथ हमारे सर पर बना कर अंत तक हमारा साथ भी निभाते हैं और कठिनाइयों से बचाकर खुश हाली भी प्रदान करते हैं
इसीलिए गुरु का दर्जा भगवान से भी ऊपर रखा गया है क्योंकि भगवान तो कर्मो का फल अवश्य देते हैं पर सदगुरू कितना भी पतित क्यो न हों, उसको भी उद्धार का मार्ग दिखाते है
💐गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागूं पाँय : बलिहारी गुरु आपने जिन गोविंद दियो बताय💐
निगुरा व्यक्ति तो मोक्ष भी नहीं प्राप्त कर सकता इसलिए जीवन मे गुरु का धारण करना परम – परम आवश्यक है और महत्वपूर्ण भी
पूर्ण समर्पण गुरु चरणों मे
5 Comments
Beautiful
Beautiful great
Nice hari om
गुरु को कीजे दण्डवत गुरु को कीजे प्रणाम
कीट न जाने भ्रंग को करले आप समान
जो बात दवा से होती नही वो बात दुआ से होती है
जब सच्चा सद्गुरु मिल जाए तो बात ख़ुदा से होती है।
Jai Gurudev