दोनों हाथ जोड़ लीजिए सभी और प्रेमपूर्वक आंखें बंद कर लीजिए। दयानिधान, कृपानिधान, सच्चिदानंद सर्वेश्वर, शुद्ध, बुद्ध, मुक्त स्वभाव, सच्चिदानंद स्वरूप परमेश्वर को आप अपने ध्यान में लाइए।
आह्वान कीजिए! मेरे हृदय मंदिर में विराजो प्रभु। अपने प्रेम की ज्योति जगाओ, मेरे कर्म में भी प्रकट हो जाओ, मेरे व्यवहार में आपकी अनुभूति हो, मेरे घर-परिवार में आपका वास रहे प्रभु। रोजी-रोटी का स्थान जो भी हमारे जीवन में है, वहां भी अपनी कृपा बरसाना।
अंग-संग रहना, अपने सुरक्षा कवच में संभाले रखना, आपके बच्चे आपके दर पर आए हैं भगवान। सब झोली फैलाए हुए हैं, सबकी कुछ आस है और सबका कोई विश्वास है। देने वाले दाता आप ही हो, आप ही निहाल करते हैं और आप ही मालामाल करते हैं।
प्रभु हम सबकी मनोकामना पूर्ण करना। आपके दर से कोई खाली न जाए, सबके जीवन में खुशहाली आ सके, माता तुम ही हो, पिता तुम ही हो, बंधु तुम ही हो, सखा तुम ही हो, हमारे जीवन का धन भी तुम ही हो, हमारा सर्वस्व तुम ही हो, हमारा ज्ञान भी तुम ही हो, हमारा मान भी तुम ही हो, तुम ही से आस लगाई है प्रभु। आशीर्वाद देना, यही विनती है प्रभु स्वीकार कीजिए।
Prarthana, Prayer , Sudhanshu ji Maharaj