एक शराबी पेन्सिलवेनिया के प्रसिद्ध वैद्य विलियम पेन के पास पहुंचा। आकर बोला-‘‘क्या मैं इस शराब की लत से मुक्ति पा सकता हूं?’’उस वैद्य ने कहा-‘‘हां क्यों नहीं, यह तो बहुत आसान है। उतना ही आसान जितना एक बंद मुट्ठी खोलना या खुली मुट्ठी बंद करना।’’ उत्तर सुनकर वह शराबी व्यक्ति चकरा उठा और पूछा ऐसा कैसे?
विलियम पेन ने हंसते हुए कहा, ‘‘भाई मेरे जब भी तुम शराब की बोतल की ओर देखो, अपनी मुट्ठी बंद कर लो। इस प्रकार जब तक मुट्ठी बंद रहेगी, तुम बोतल उठाकर पी ही नहीं पाओगे। शराबी झुझलाकर बोला–यह उपाय, सुनने में आसान है, पर पालन में असम्भव जैसा है।
वैद्य ने कहा इसके साथ बस अंदर की दृढ़ इच्छाशक्ति जोड़ना होगा। वास्तव में दुनिया व जीवन का हर खेल इच्छा शक्ति के सहारे ही चलता है। इच्छा शक्ति वह ताकत है, जिसके सहारे एक अपंग भी शिखर चूम सकता है। मैनेजमेंट कंसल्टेंट शाय रागनकर कहते हैं ‘‘वजन घटाने के लिए अनेक व्यक्ति प्रयास करते है, पर उनके अंदर इच्छा शक्ति के अभाव से असफलता मिलती है। अन्यथा जो व्यक्ति अपना सिर बाये से दायें हिला सकता है, वह अपना वजन भी घटा सकता है।’’
हां यही सच है इच्छा शक्ति इसी क्षणमात्र का विस्तार है। हां या न कहने में जितने क्षण का समय लगता है, उतने में ही भाग्य का बड़ा रूप अपना आकार पा लेता है। यह बात सुनकर हंसी आयेगी ही, क्योंकि हर कोई अपना सिर बायें से दायें तो सैंकड़ों बार हिलाता है। जबकि गहरे से विचार करें तो इसी में जीवन का परिवर्तन छिपा है। जब सामने ऐसी कोई वस्तु हो जो हानिकारक तो है, पर उसे पा लेने की तीव्र ललक भी जगती है। ऐसे में यदि न कह दिया तो उसी क्षण से जीवन का पूर्ण रूपांतरण प्रारम्भ हो जायेगा। बच्चों का ही उदाहरण लें जैसे सामने इस्क्रीम, चॉकलेट, चटपटे व्यंजन मिठाइयां रखी हों, तब यदि बच्चे बायें से दायें या दायें से बायें सिर न में हिला सके तो वहीं व्यक्ति की इच्छा शक्ति आकार ले लेती है। अर्थात् एक क्षण में भाग्य तय हो जाता है। इससे स्पष्ट है कि यदि किसी ने तय कर लिया कि यह काम नहीं करना है। यह आदत अपने पास नहीं रखनी है, तो उसके साथ अपनी इच्छा भी जोड़ ले।
इच्छाशक्ति मनः रूपी नदी पर एक बांध है। इच्छा शक्ति द्वारा अपने लक्ष्य का बहाव सफलता की ओर कर सके, तो भाग्य खिल उठता है।
मान लीजिये मन टी-वी- इंटरनेट देखना चाहता है, योजनायें भी उसी समय मन में बन रही हैं। ऐसे में मन को किसी एक काम से बांध कर रखना इच्छाशक्ति के हाथ है। इच्छाशक्ति वह निर्णायक पहलू है जिसके सहारे व्यक्ति बड़े से बड़ा काम कर सकता है। इसी से यह भी सिद्ध होता है कि एक समय में यदि एक ही काम में ऊर्जा खर्च की जाये, तो उसका परिणाम सफलता से भरा होता है। तब ऊर्जा नष्ट होने से बचेगी।
इच्छा शक्ति को हम दूसरे ढंग से भी समझते हैं। मान लें किसी का वजन 60 किलोग्राम है, तो वह ज्यादा से ज्यादा 30 किलो वजन उठा सकता है। लेकिन अगर वह किसी लीवर से वजन उठाये तो 1000 किलो से भी अधिक वजन उठा सकता है। वास्तव में इच्छाशक्ति एक प्रकार का उत्तोलक ही है। बस एक बार अपनी इच्छाशक्ति पर भरोसा हो भर जाये, तो दुनिया का कोई काम असंभव नहीं।
पूज्य सद्गुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज कहते हैं कि ‘‘इच्छा शक्ति जगाने की अनेक विधियाँ हैं। योगाभ्यास, ध्यान, मंत्रेच्चार और यज्ञ से भी इच्छाशक्ति बढ़ती है अपना ध्यान किसी एक तरफ लगाने से अंदर ऊर्जा का विकास होगा। जिसका उपयोग व्यक्ति किसी भी काम में कर सकता है।’’
इसे जगाने के लिए प्रथम कदत कि मन को जो काम पसंद है, उसे न करें। जो चीज पसंद है, वह लेना छोड़ दें। जैसे मिठाई बहुत पसंद है, तो एक सप्ताह मिठाई न खायें। मिठाई को देखते ही सिर बायें से दायें घुमा लें। कोई धारावाहिक पसंद है, तो उसे न देखें। इसीप्रकार दिन में कोई भी एक घंटा तय कर लें विशेष विषय के बारे में सोचने के लिए। क्रमशः इस अभ्यास से इच्छा शक्ति जगेगी। गुरु व ईश्वर ध्यान करने तथा अंतःकरण से उठने वाली तीव्र नकारात्मक भावनाओं के विपरीत कार्य करने जैसे अनेक प्रयोग हैं। जिनसे हर कोई अपनी इच्छा शक्ति को जगा सकता है, तो आइये! हम सब इसे जगाकर जीवन जीने का असली आनन्द लें।