खुशी के रास्ते स्वर्ग का द्वार खटखटायें
पूरे विश्व में भारत बहुत ही अद्भुत देश है। यहां की संस्कृति, सभ्यता, परम्परा सारे विश्व में अनोखी है। सबका लक्ष्य है, जीवन में खुशी लाना, स्वर्गीय अंतःकरण बनाना। इसी भाव से यहां की नारी अपने पति के लिए जप-तप और त्याग की भावना लेकर व्रत करती हैं। पति भले ही डांटता हो, कड़वे शब्द बोलता हो, भले ही दोनों एक-दूसरे से दुःखी हो जाते हों, लेकिन फिर भी पत्नी व्रत रखती है और सोचती है कि सुहागिन के रूप में ही इस धरती से विदाई लूं। पति ही मुझे श्मशान भूमि तक विदा करने आये। फिर अगले जन्म में यही हमारे पति बने। सहने और साथ अने रहने की यह महान परम्परा है हमारे ट्टषियों की।
किसी विश्व विद्यालय में ये सब नहीं पढ़ाया जाता। यह भाव पवित्र अंतःकरण की उपज है, जो अपने आप उतारते हैं। भले व्यक्ति गरीब हो, पर उसके भाव उसकी आंतरिक अमीरी का संदेश देते हैं। वैसे भी अमीरी खुशी का आधार नहीं होती। खुशी के लिए अंदर संतुष्टि चाहिए। खुशी जीवन जीने का एक ढंग है, एक कला है और जब तक आप यह ढंग, यह कला, यह अदा नहीं सीख लेते तब तक खुशी से वंचित रहेंगे।
यदि आपने दुःखी बने रहने की आदतें पाल रखीं हैं, तो प्राप्त समृद्धि एवं पैसा उन्हें दस गुणा बढ़ा देता है। जैसे आपको नशे की आदत है, तो पैसा होने पर आप सारे दिन शराब पीते रहेंगे। जुआ खेलने की आदत है, तो सारा दिन जुआ खेलने में निकाल देंगे। पैसा नई-नई गुलामी से जोड़ेगा, इससे सेहत गिरेगी। संयम टूटेगा, सम्बन्धी बिखरेंगे।
अगर आपको लड़ने की आदत है, तो सारे दिन बड़े-बड़े वकील लेकर कोर्ट, कचहरी में खड़े रहोगे, लेकिन इससे दुःख अधिक बढ़ेगा। दुःख आपका पीछा नहीं छोड़ेगा। आपको अगर गाली देने की आदत है, तो ये पैसा सारे दिन गुस्से में रखकर दुनिया भर को गाली दिलायेगा। इसलिए पैसा जितना जरूरी है, उतना ही कमाओ।
पैसे-धन-सम्पत्ति से अधक जरूरत है जीवन जीने का ढंग सीखना। जीवन जीने का ढंग है, तो सारा दिन झोपड़ी में रहकर भी राजा बनकर रहोगे। थोड़ा विचार कीजिए। स्वर्ग की निशानियां क्या हैं। इस दुनिया में जो लोग सदा हंसता-मुस्कुराता जीवन जीते हैं, उनके पास जीवन की खुशी है, तो सोच लेना कि धरती पर वे सुख भोग रहे हैं। स्वर्ग उनके ही पास है जो सदैव खुश रहते हैं, संतुष्ट रहते हैं, जिनके चेहरे आभार प्रदर्शित करते हैं, जिनकी जबान पर धन्यवाद के शब्द हैं। जो लोग हर समय यह कहा करते हैं कि मेरे मालिक ने बहुत कुछ दे रखा है, मैं बहुत खुश हूं। उसके सामने बार-बार सिर झुकाकर धन्यवाद करते हैं। उनका प्रत्येक दिन ठीक बीतता है, मालिक की बहुत कृपायें रहती हैं।
ऐसा व्यक्ति ही इस पृथ्वी के स्वर्ग में रहता है, जो खुश है। जिसके चेहरे पर मुस्कुराहट है, जो सदैव मालिक का ध्यान करता है और अपने भीतर अमीरी का भाव लेकर जीता है। अंदर खुशी होगी तो वाणी भी मीठी निकलेगी, मानों फूल झड़ रहे हों। जिसकी वाणी में मिठास है, तो वहां भगवान का वास है। कहते हैं, वह आदमी स्वर्ग ही में रह रहा है। जहां भी ऐसा व्यक्ति रहता है, स्वर्ग वहीं आ जाता है। ऐसे आदमी में सहजता, सज्जनता सदैव बनी रहती है। आइये! हम सब खुशी के रास्ते स्वर्ग का द्वारा खटखटायें।