जिंदगी में उदास होने के बहुत सारे कारण हो सकते हैं लेकिन खुश रहने के भी कारण कम नहीं होते | जिसे खुश रहना आ गया वो कारण नहीं ढूंढा करता वह बिना बात के भी खुश रहता है और जिसे दुखी रहने की आदत हो गयी वो बिना कारण के भी दुखी रहता है |
इसलिए भले ही छोटी सी झोपड़ी में व्यक्ति रहता हो लेकिन अगर उसे आनंदित रहने की आदत पड़ गयी तो वो इस बात की शर्त नहीं रखेगा की मेरे पास जब इतने पैसे हो जायेंगे तभी मैं खुश रहूँगा | बल्कि वो ये कहता है की खुश रहने के लिए पैसे का हिसाब किताब क्यों करना खुश रहने के लिए ये क्यों सोचना की मेरे पास ये है और ये नहीं है |
हमने जिंदगी में अपने आपको दो भागो में बांटा हुआ है – ये नहीं चाहिए और ये चाहिए | चाहिए और नहीं चाहिए में जब हम अपने आपको बांटे रखते हैं तो इसी में हम ये भी सोचते हैं “ये नहीं है और ये न हो जाये” तो इसे कहते हैं नकारात्मकता | दूसरा रूप है ” मेरे पास बहुत कुछ है, ये और मिल जाए तो कितना आनंद” इसे कहते हैं सकारात्मकता | जिस व्यक्ति के अंदर सकारात्मकता होती है वह हमेशा खुश रहेगा | खुश रहने से जो तरंगे हमारे मन और मस्तिष्क में पहुँचती हैं वो और ख़ुशी को हमारी तरफ खींचती हैं |
जब हम ख़ुशी को पाकर भगवान को धन्यवाद करते हैं तो परमात्मा भी हमें वैसे कारण देता है की जिससे हम खुश रहे और धन्यवाद करते हुए जियें |
धन्यवाद करते हुए जब आप जियेंगे तो जिंदगी में और भी धन्यता जुड़ती चली जाएगी | हमें हर उस व्यक्ति के लिए धन्यवाद करना चाहिए जिसने भी जिंदगी जीने में हमारा सहयोग दिया और जो हमारी जिंदगी को कठिनाइयों से बचाने में सहयोगी बना हुआ है |
जिसके कारण आपको कुछ भी मिलता है, जिसके होने से आपकी जिंदगी में कुछ भी फर्क पड़ता है उस सबके लिए धन्यवाद करना शुरू कर दीजिये और ये ही धन्यवाद की आदत अपनी प्रार्थना में भी लाइए | अपनी प्रार्थनाओ में अगर आप धन्यवाद करने वाले बनते हैं तो जिंदगी भर आप धन्यवाद करने लायक ही बने रहेंगे आपको कभी शिकायत करने का मौका ही नहीं मिलेगा |
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Hari om