आइये दोनों हाथ जोड़कर प्यारे ईश्वर के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करें, सिर झुकाकर भगवान को नमन करें, उसकी कृपाओं के प्रति धन्यवाद करें, और अपनी झोली फैलाएं और खुशियों के लिए, सुख और समृद्धि के लिए। शक्ति सामर्थ्य के संसार की यात्रा में और अधिक सफल हो सकें, अपने उत्तरदायित्व निभा सकें, अपनी जिम्मेदारियां निभा सकें,और हंसते मुस्कुराते हुए जीवन जिएं।
हंसते मुस्कुराते हुए जीवन जिएं, कर्मठ बनकर जियें कर्मयोगी का जीवन जियें और विदाई की घड़ी आए तो परमेश्वर के प्रति आभार व्यक्त करते हुए किसी से भी किसी के प्रति भी शिकायत न करते हुए पूर्ण संतुष्टि से इस दुनिया से विदाई हो और कीर्ति का शरीर संसार में रहे।
ये निवेदन अपने प्रभु से हम करें। अपने भगवान का स्वरुप अपनी आँखों में लाइए और उस स्वरुप को ध्यान में रखकर मन मन में तीन बार भगवान का नाम उच्चारण कर लीजिए।
चेहरे पर प्रसन्नता का भाव लाएं। मन शांत, हृदय प्रेम से परिपूर्ण। गदगद भाव से भगवान का धन्यवाद कीजिये। सब सुख देने वाले सब प्रकार की कृपाएं करने वाले मेरे प्रभु आपकी अनंत अनंत कृपाओं के प्रति आभारी हूँ।
ये जीवन और अधिक उत्कृष्ट हो सके अपना आशीष दो। अपने उत्तरदायित्व अपनी जिम्मेदारियां और अच्छे से निभा सकें हमें आशीष दो।
जीवन के अंतिम क्षणों तक भी हम कर्मठ बनकर जी सकें हम पर कृपा करो। हंसते मुस्कुराते हुए जीवन पूर्ण हो और हमारे द्वारा वह सब कार्य हो सके जिसके लिए मनुष्य जीवन मिला है।
प्रभु हमें आशीष दीजिये हमारी आध्यात्मिक यात्रा शुरू हो क्योंकि भौतिक यात्रा तो हमारी चलती रहती है भौतिक से अभौतिक की ओर, मूर्तिमान जगत से अमूर्त की ओर हम बढ़ सकें और विषाद से भरी हुई दुनिया से हम प्रसाद प्रसन्नता की दुनिया की ओर चल सकें।
हर समय कायरता, निराशा और संताप से भरे हुए इस जगत से हम आशा उत्साह और वीरता की ओर चल सकें। हमें आशीष दीजिये!
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शत् शत् नमन गुरुदेव
अनंत कोटि धन्यवाद गुरुदेव