आइए दोनों हाथ जोड़ लें सभी लोग, प्रेमपूर्वक आंखें बंद कर लीजिए। अपने इष्टदेव का स्वरूप आंखों में इस तरह ले आइए जैसे आप मंदिर में भगवान के स्वरूप का दर्शन करते हैं। मन की आंखों से अपने अंदर अपने प्रभु का स्वरूप देखिए।
मन मन में भगवान का नाम उच्चारण कीजिए। भीतर प्रसन्नता लाएं, कृपा को अनुभव करें। फिर से प्रभु का नाम उच्चारण कीजिए तीन बार।
प्रभु से आशीष मांगिए और उनकी स्तुति करें।
ॐ नमः शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च ।
मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च ।।
हे परमेश्वर चरण शरण में हम सभी आपके बालक बालिकाएं उपस्थित होकर श्रद्धाभाव से आपको प्रणाम करते हैं। हमारे प्रणाम को स्वीकार करो प्रभु! आपकी समस्त कृपाओं के प्रति आभारी हैं।
सुख में दुख में हानि में लाभ में जीत में पराजय में जीवन की हर अच्छी बुरी घड़ी में सदैव आप ही सहारा बनकर हमें संभालते रहे हैं। न जाने कितनी गलतियां करके हम अपने जीवन को दुख से भर लेते हैं अचानक आप से ही सुबुद्धि प्राप्त होती है।
बिखरती हुई चीजें, टूटते हुए रिश्ते फिसलती हुई जिंदगी फिर से संभलती है फिर से आप हमें सुमार्ग पर चलने के लिए शक्ति देते हैं और हम सभी अपने आप को सुखी करने के लिए लगातार कोशिश करते हैं पर आपकी कृपा से ही सुख आता है प्रभु।
आप देते हैं तो सुख आता है और आप जब हमारे कर्मों के अनुसार दिशा बदल देते हैं बुद्धि की भी और आते हुए सुख सुविधाओं को भी उस समय हम कितनी भी कोशिश करें अपने को सुखी करने की, सुख नहीं मिल पाता।
देने पर आते हो तो हजारों हाथों से देते हो और जब लेने पर आते हो तब भी हजारों हाथों का प्रयोग करते हो प्रभु। हमें आपकी कृपा और आपकी करुणा की सदा आवश्यकता है अपने कृपा भरे हाथ सदैव हमारे सिर पर रखना हमें संभाले रखना। आपको बारंबार प्रणाम है प्रभु!