प्रार्थना | प्रभु हमें आशीष दो जीवन धन्य हो सुखी और आनंदित हो | Sudhanshu ji Maharaj

प्रार्थना | प्रभु हमें आशीष दो जीवन धन्य हो सुखी और आनंदित हो | Sudhanshu ji Maharaj

God, kindly bless us to be happy and blissful

God, kindly bless us to be happy and blissful

प्रार्थना

उस प्यारे परमेश्वर से अपने ह्रदय को जोड़िये जिसके नियमों से और जिसके अनुशासन से ये पूरा जग पूरा ब्रह्माण्ड पूरा संसार संचालित हो रहा है। बुलाता भी वही है वापिस भेजता भी वही है इस पृथ्वी गृह पर जितने समय के लिए यात्रा पर हम आये हैं कर्मो के अनुसार संसार के रंगमंच पर हमें एक अभिनय करने का इस दुनिया के नाटक में शामिल होने का अवसर मिला है।

इस अवसर में हम राजा बनें, रंक बनें, व्यापारी बनें, कर्मचारी बनें, जिस भी तरह का कार्य मिलता है और फिर रोल बदलते रहते हैं व्यापारी होकर भी कभी कभी राजा की तरह चलता है व्यक्ति, कभी भिखारियों जैसी हालत में चलता है, कभी क्षत्रियों, शूरवीरों की तरह से बहादुर बन जाता है, कभी डरपोक कायर बनकर भगोड़ा बन जाता है।

तरह तरह का नाच नचाता है ये जीवन तरह तरह की परिस्थितियां अनेक तरह के दबाव कभी पूरे संसार का मान साथ में और कभी नासमझी में आप सच्चे आप अच्छे सब तरह से ठीक हैं फिर भी गलत समझा जाता है आपको, फिर भी अपमान। कड़वे मीठे फल हर किसी को खाने पड़ते हैं। ये ही अभिनय आप सबको इस दुनिया में करना पड़ रहा है।

ईश्वर से प्रार्थना करें

अपने प्यारे ईश्वर से प्रार्थना करें कि जो भी जिस भी प्रकार की जिम्मेदारी उत्तरदायित्व आपने प्रभु हमें दिया खूबी से निभा सकें पर कोई पल ऐसा न हो जब आपसे जुड़े न हों आपके प्रेम से युक्त न हों भीतर में शांति न हो ऐसा कोई पल न हो। हर क्षण आपका आनंद आपका प्रेम आपकी शांति और सुकून अंदर में बहता रहे परिस्थितियां कैसी भी हों ना सत्य से हटें न आपके चरणों से दूर हों और जिनकी कृपा से हमारे जीवन में भक्ति की चिंगारी जागती है कर्त्तव्य कर्म पहचानते हैं धर्म कर्म की और अग्रसर होते हैं अपने मानव रूप को हम संभाले रखते हैं।

जीवन को पवित्र बनाये रखते हैं वह पवित्र प्रेरणा की शक्ति सदगुरू है जो इस धरती के समस्त रिश्तों से ऊपर है जिससे उत्तम रिश्ता कोई भी नहीं उसी रिश्ते से उसी सीढ़ी से होकर परमात्मा की मंजिल तक पहुँचने का अवसर मिलता है वह एक नौका है जो इस किनारे से उस किनारे में ले जाने में सहयोगी बनाता है उस सदगुरु के प्रति हमारी श्रद्धा निष्ठा हमेशा बनी रहे।

उसके माध्यम से ही हम आगे जायेंगे जैसे माँ ने ऊँगली पकड़कर संसार का परिचय कराया, पिता ने संसार में ऊँचे आसमान देखने का भाव पैदा किया, जीवन जीने के लिए कुछ तकनिकी विद्या शिक्षक ने दी लेकिन इस लोक और परलोक में सफलता और शांति सुख – सुकून और ईश्वर तक पहुँचने का जो सदगुरु के माध्यम से हमें ज्ञान भी ध्यान भी दीक्षा और शिक्षा मिलती है उनके प्रति हमारी श्रद्धा निष्ठा हमेशा बनी रहे। प्रभु हमें आशीष दो जीवन धन्य हो सुखी और आनंदित हो, प्रार्थना को स्वीकार कीजिये।

ॐ शांति शान्तिः शांति ॐ

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