हे दयालु कृपालु सच्चिदानंद स्वरूप परमेश्वर हम आपके बालक बालिकाएं आपके चरणों में उपस्थित होकर आपको प्रणाम करते हैं।
आपकी अनंत अनंत कृपाओं के प्रति आभार व्यक्त करते हैं। हे सर्वव्यापी ईश्वर आप सबके दाता हैं। सुख समृद्धि प्रदान करने वाले भी सुखदाता आप ही हैं। आप ही पतित पावन, आप ही शुद्ध बुद्ध मुक्त स्वभाव है। कण कण में व्यापने वाली परम सत्ता आप ही तो हैं। अनाथों के नाथ आप हैं, निर्धनों के धन भी आप ही है। दुनिया की रक्षा करने वालों की रक्षा करने वाले भी रक्षक आप हो प्रभु। हे प्रभु अपने माता-पिता, गुरुजनों के प्रति हमारी श्रद्धा व प्रेम अगाध हो
दूसरों पर जो दया करते हैं उन पर भी दया करने वाले आप हैं। आप ही के द्वारा दी गई मुस्कुराहट से व्यक्ति मुस्कुराता है। प्यारे प्रभु हम आपके चरणों में यह निवेदन करते हैं हम अपने जीवन का महत्व समझें, जीवन के लक्ष्य को पहचानें, अपने भीतर की शांति और शक्ति और सामर्थ्य को प्रतिदिन बढ़ाने वाले बनें। अपनी इच्छाओं को नहीं आपकी इच्छाओं को पूरा करने के लिए संसार में कर्म करें।
जब तक इस संसार में हम रहें कर्मरत रहें, कर्मयोगी का जीवन जियें।
हमारे हाथ देने के लिए उठते रहें हमें कभी किसी की सेवा और सहारे की आवश्यकता न पड़े। प्यारे प्रभु हम सब पर कृपा करना कि हमारा हाथ देने के लिए सदा उठता रहे। हमें किसी भी प्रकार का अभाव जीवन में अनुभव न हो। जब तक यह श्वास का सफर जारी रहे हमारी मुस्कुराहट भी कायम रहे।
हम यह भी निवेदन करते हैं प्रभु हम अपने दायित्वों का निर्वाह कर सकें भले ही दूसरे करें या न करें। अपने कर्तव्य पथ से कभी विमुख न हों।
जीवन के लक्ष्य की ओर प्रतिदिन बढ़ने वाले बन जाएं। अपनी भक्ति का दान देना! आपके चरणों के प्रति हमारी श्रद्धा, हमारे निष्ठा निरंतर बनी रहे! गुरुजनों के प्रति हमारी श्रद्धा व प्रेम अगाध हो! अपने देश के लिए, अपने राष्ट्र के लिए हम समर्पित हों!
अपने राष्ट्र को अगाध प्रेम करने वाले बनें, माता-पिता को सम्मान देने वाले बनें!
हे प्रभु हम सभी को आशीष दीजिए। हम सबका कल्याण हो।
ॐ शांति: शांति: शांति: ॐ