ऋतुएं बदल रही हैं , समाज बदल रहा है , दुनिया बदल रही है :: एक हम ही हैं जो अपने भीतर कोई बदलाव नहीं ला पाते , इसलिये जागृति की आवश्यकता है स्वयं को बदलने के लिए !
मनुष्य का चोला इतनी सुगमता से प्राप्त नहीं होता : चौरासी लाख योनियों में भटककर, कष्ट उठाकर तब यह योनि मिली है – एक एक क्षण बेशक़ीमती है , मूल्यवान है : इसे और भी मूल्यवान बनाना है अपने अंदर परिवर्तन लाकर !
तो आवश्यकता है अपने अंदर में उतरने की : आत्मचिंतन करने की , हमे स्वयं ही बदलाव लाना होगा : जब तक पुराने पीले पत्ते गिरेंगे नहीं , नयी कोपलें कैसे आयेंगी : इसलिए सोचो की हमें क्या करना है !
इसका सबसे महत्वपूर्ण और मुख्य बिंदु है कि हमें मार्गदर्शक चुनना होगा , लाइफ कोच जो हमारे जीवन की डोर को सम्भाल कर हमें प्रगति के पथ पर लेकर चले क्योंकि हमें अपनी महत्ता का ज्ञान ही नहीं होता कि हम क्या कुछ कर सकने की क्षमता रखते हैं !
सद्गुरू ही हमारी क्षमताओं और योग्यताओं को जान सकते हैं और वह सब कुछ करा देते हैं जिसका मनुष्य अन्दाज़ तक नहीं लगा सकता :: गुरु आपकी प्रगति कराने के लिए मार्ग चुनते हैं कि किस पथ पर आप प्रगति कर सकते हो !
मानव जीवन यूँ ही न गँवा दें , इसका भरपूर उपयोग करके अपने लक्ष्य तक पहुँचा सके :: यही गुरु की कामना होती है और इसी के लिए वह प्रयास करते हैं और अंत में वह अपने शिष्य को वहाँ तक पहुँचा ही देते हैं जिसकी उन्होंने कल्पना की होती है !
इसलिए यदि आप अपने को धोकर निर्मल करना चाहते हैं तो पूर्ण समर्पण कर दीजिए उनके चरणों में और कह दो कि हे सदगुरु- आप ही मेरे जीवन रथ को चलाने वाले हैं : मैंने पूर्णतः अपने आपको समर्पित कर दिया , अब जीवन की बागडोर आपके हाथ में है, जहां चाहो ले चलो – तो कृपा अवश्य होती है !
गुरु द्वारा दिये हुए नियमों पर चलना, अक्षरशः उनका पालन करना, उनके हर निर्देश को शिरोधार्य करना -शिष्य का कर्तव्य है!
इसलिए प्रयत्नशील हो जाइए क्योकि जब तक आप स्वयं अपना उद्धार नहीं करेंगे , कोई आपका उद्धार करने आने वाला नहीं , ना ही किसी चमत्कार की अपेक्षा करो : अपने दीपक स्वयं बनो: आपके अंदर से सात्विकता का प्रकाश फैलने लगेगा तब ब्रह्मांडीय शक्तियाँ भी आपका सहयोग करेंगी और आप उस ऊँचाई को प्राप्त कर सकोगे जो आपके जीवन का लक्ष्य है !
आत्मचिंतन के सूत्र: Atmachintan, Sudhanshu Ji Maharaj
__PRESENT