समर्थ सद्गुरु के मार्गदर्शन में की गयी साधना छोटी हो या बड़ी जब साधक उसके लिए सही समय, सही विधि, सही अवधि, सही आसन, सही अनुशासन को अपनाकर नियमित अभ्यास करता है, तो वह साधना जीवन में रूपांतरण लाती है और साधक के सुख-सौभाग्य के द्वार खुलते हैं। जीवन में अनुभूतियों के साथ-साथ उपलब्धियां आने लगती हैं, बिगडे़ कार्य अचानक ऐसे बनने लगते हैं, जैसै कोई चमत्कार घटित हो गया है। यही है जीवन में नये पन का प्रवेश, जिससे साधारण सा लगने वाला जीवन नवजीवन के रूप में प्रकट हो उठता है।
विश्व जागृति मिशन मुख्यालय तपोभूमि आनन्दधाम आश्रम से पूज्यश्री सुधांशु जी महाराज जी द्वारा निर्देशित 24 सत्रें वाली यह जीवन का कायाकल्प वाली ऑनलाइन व्यवहारिक नवजीवन साधना देश-विदेश के असंख्य साधकों के जीवन का कायाकल्प करने में सफल हुई। साधकों द्वारा इसे अनवरत जारी रखने का पूज्यवर से किया जा रहा निवेदन इसका प्रमाण है। तभी तो साधक साधना के इस दिव्य अवसर की नियमितता खोना नहीं चाहते।
365 दिन के 12 चरणों में सम्पन्न हुए इस साधना कार्यक्रम ने हजारों साधकों की आंतरिक नकारात्मक परतों को उखाड़कर उसके जीवन को नई परिभाषा देने में सफल रही। पूज्य महाराजश्री वर्ष भर इस साधना के सफल निर्वहन हेतु साधकों के सतत सहारा बने रहे और अपनी आध्यात्मिक सूक्ष्म ऊर्जा से साधकों की हर रुकावटों को दूर करके उन्हें लक्ष्य से जोड़ते रहे। साधना में साधकों के सामने गुरुवर निर्देशित विधियां थीं, पर साधकों के लिए आध्यात्मिक प्रयोग तो स्वयं गुरुदेव आनन्दधाम तीर्थ से सूक्ष्म स्तर पर करते रहे। इसीलिए साधकों द्वारा अपने को नवीन करने के प्रत्येक कठिन से कठिन चरण गुरु मार्गदर्शन में सफल होते रहे।
साधकों ने अपने एक वर्षीय नवजीवन साधना अनुभव के संदर्भ में बताया कि ‘‘इस साधनात्मक प्रयोग से अवचेतन, अचेतन व चेतन मन सूक्ष्म स्तर तक प्रभावित होता अनुभव हुआ एवं अणु-अणु में नवीनता की अनुभूतियां भरती रहीं, जिसके परिणाम स्वरूप जीवन व्यवहार, व्यक्तित्व, आदतों में सकारात्मक बदलाव के उच्च स्तरीय सोपान अनुभव हुए। साधना से क्रमशः तनाव और नकारात्मकता की परतों को निर्मूल करने में अत्यधिक सहायता मिली। आध्यात्मिक नवीनीकरण की इस गुरुनिर्देशित प्रक्रिया से जैसे-जैसे गुजरने का अवसर मिला, आंतरिक स्तर पर आहलाद, प्रसन्नता, अभयता, सृजनशीलता के नये-नये पक्षों का अनुभव होता रहा।
जीववनस्तर में आमूलचूल बदलाव व दिव्य स्तर का जागरण जैसे जीवन की उम्र कम हो गयी हो, एक नवयुवक जैसी मनोदशा, नया उत्साही शरीर और प्रखर आत्मा के साथ जीवन अबाध होकर बहने लगा। जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बनता गया, अधिक शांति और संतुष्टि आने लगी, लगा जैसे हम ब्रह्माण्डीय ऊर्जा के ज्यादा करीब हो रहे हैं। जीवन में छोटी-छोटी चीजों के प्रति आकर्षण जाता रहा और अंदर से दिव्यता को आकर्षित करने वाली शक्तिशाली आध्यात्मिक चेतना की अनुभूति बढ़ती रही। इस प्रकार जैसे-जैसे साधना अपना नव सोपान चढ़ती रही, जीवन में सुधार अनुभव होता रहा, जीवन परिष्कृत, ताजा और नया होता अनुभव हुआ।
वास्तव में असंख्य साधकों ने अपने अनेक तरह के अनुभवों को साझा किया। कई लोगों की स्थित और भी उच्च स्तरीय रही, जिसे केवल साधक अपने गुरु सत्ता के सामने ही खोल सकते हैं। सच कहें तो जीवन में आमूलचूल बदलाव ही इस नवजीवन साधना की परिभाषा भी है। साधकों की आकांक्षा को देखते हुए गुरुदेव पुनः साधकों के लिए वर्ष भर आध्यात्मिक प्रयोग करने के लिए सहमत हो गये हैं। वे चाहते हैं कि हमारे शिष्य भक्त व साधक अपनी भावनाओं, विचारों को नियोजित नियंत्रित करने के स्वामी बनें और पूर्ण सन्तुलित जीवन जियें। घर-परिवार के दायित्व पूर्ण करते हुए कुशल सफल जीवन बितायें, साथ ही उस ‘आनन्द’ की स्थिति में पहुंचें, जहां निरन्तर खुशी और शांति अनुभव होती है।
निश्चित ही सतत चलने वाली इस साधना से साधकों को अपनी जीवन शैली में ध्यान को स्थापित करने में सफलता मिलेगी, साधना का एक लम्बा समय साधकों को अपने अंदर की गहराई में उतरने एवं स्वयं को भावनात्मक, मानसिक रूप से अपने आंतरिक स्तर को समझने में भी सफलता दिलायेगी। इससे मिलने वाले जीवन से जुडे़ अनगिनत शारीरिक, भावनात्मक, व्यावहारिक और मनोवैज्ञानिक लाभ की तो कोई गणना ही नहीं की जा सकती। बावजूद ब्रह्माण्डीय शक्तियों से जुड़ने, उन्हें आत्मसात करके अपनी अंतःशक्ति को पा लेने में अनुभूति स्तर पर साधक को सफल कर दे तो आश्चर्य नहीं। जीवन में अनुभूति स्तर पर आने वाले असंख्य परिवर्तनों के सहारे साधकों को अपनी कमजोरियों और नकारात्मकताओं को समाप्त करने और जीवन की नई परिभाषा गढ़ने में सफलता अर्जित करायेगी।
पूज्य सद्गुरुदेव महाराजश्री और श्रद्धेया डॉ- अर्चिका दीदी के द्वारा विशेष रूप से तैयार किये गये हैं। ये 12 महीनों के कार्यक्रम जीवन के मूल आध्यात्मिक संकल्पों, जीवन निर्माण सूत्रें की गहराई तक उतारने में सफल होंगे। आंतरिक प्रसन्नता, शांति, सन्तुलित भावनाएं, सम्पूर्ण कुशलक्षेम, विकसित आत्म-चेतना, कर्मों में कुशलता आदि उच्च आध्यात्मिक कंटेन्ट के साथ दिव्य आध्यात्मिक अनुभूतियों से स्वयं को जोड़ने हेतु पूज्य महाराजश्री द्वारा निर्देशित 24 व्यवहारिक साधना सत्रें का समायोजन इसमें है। डॉ- अर्चिका दीदी का सम्पूर्ण स्वास्थ्य एवं जीवन शैली सम्बन्धी मार्गदर्शन मिलेगा ही। पूज्यगुरुदेव द्वारा विकसित प्रमाणित नव साधना तकनीकी से साधक को अपनी मानसिक-भावनात्मक शक्ति को बढ़ाने, आत्म-अनुशासन एवं मानसिक शक्ति वृद्धि की विधियां सीखने का अवसर भी मिलेगा।
इस वर्ष भी वार्षिक साधना के 12 चरणों के लिए समय-समय पर गुरु निर्देशित साधनाओं वाले 24 विशेष ऑडियो प्राप्त होंगे। साथ ही जीवन निर्माण सत्र से जुड़े प्रतिमास 30 व 60 मिनट के साधना सम्बन्धी लिखित सूत्र के अन्य संदेश भी प्राप्त होंगे। विगत की तरह इस दौर में भी साधकगण व्यक्तिगत प्रश्नोत्तरी के द्वारा आध्यात्मिक उत्सुकताओं के समाधान प्राप्त कर सकेगें।
तो आइये! अपने आत्म उन्नति के लिए तत्पर साधक पूर्ण ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने हेतु इससे जुड़ने के लिए अपनी मनोभूमि अगले 365 दिन की साधना के लिए तैयार करें। नवजीवन साधना को प्रत्येक दिन महाराजश्री के दैनिक निर्देशन में प्रारम्भ करके जीवन को आध्यात्मिक ऊँचाई से भर सकें।
विश्व जागृति मिशन के सौजन्य से
हरीओम
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Hi
Jagjiv Kaushal want to take diksha
As I m bhajans singer from Patiala
9592047569
C/o Ajay Alipuria ji. Patiala