हमारा व्यक्तित्व हमारे विचारों और भावनाओं पर टिका है : जैसा विचार मस्तिष्क में चलता रहेगा , वही रूप हम धारण कर लेते हैं । इसलिये शक्तिशाली और सुदृढ़ विचार ही आधार हैं हमारे जीवन के !
कई बार लोग इतने भावुक हो जाते हैं कि अपना मानसिक संतुलन भी खो बैठते है और जीवन का रस ही समाप्त हो जाता है । परिस्थितियां तो लगातार बदलती रहेंगी, द्वन्दों को संसार है, यह जीवन इसी दोनों किनारों के बीच बहती हुई नदी के समान है, सुख, दुख, खुशी, गम – सब कुछ जीवन मे चलेगा पर अपना संतुलन नही खोना चाहिए !
भगवान कृष्ण गीता में यही संदेश देते हैं कि योगस्थ बनो, मतलब अपने को टिका कर चलो : अपने को मजबूत बनाओ जो हवा का हल्का सा झोंका तुम्हे हिला कर न चला जाये !
प्रतिदिन अपना आंकलन करना होगा कि हम किस दिशा में चल रहे हैं , अपना भविष्य स्वयम निर्माण करना है : सोच समझ कर लिया गया निर्णय और प्रगति की ओर बढ़ते कदम हमे ऊंचाई पर ले जाकर खड़ा कर देते हैं !
कई बार भावुकतावश लोग अपना घर छोड़कर चले जाते हैं, या आत्महत्या करके अपना जीवन समाप्त करने तक की बात सोच लेते हैं परंतु यह मूर्खता है । मनुष्य का जीवन बहुत मुश्किल से मिला है, इसको सफल बनाना है यानी कुछ ऐसा करके जाओ की जाने के बाद भी आपकी कीर्ति बनी रहे, भावनात्मक होकर ,निराशा में नही आना चाहिए !
अपने मन को आध्यात्म से जोड़िये, भक्ति से जोड़िये, धर्म की राह पर चलने वाला व्यक्ति कभी ऐसे कमजोर निर्णय नही लेता। साहसी बनो, अपने प्रभु में विश्वास रखकर चलने वाले बनो, कृपा होती है !
आत्मविश्वास और भावनाओं को सबसे अधिक मजबूत करता है आपका ध्यान, ध्यान के पथ पर चलते हुए व्यक्ति कभी निरुत्साहित नही हो सकता । गुरु अपने शिष्य में वह ऊर्जा भर देते हैं जो कितनी भी विपरीत परिस्थिति हो, व्यक्ति घबराता नही !
आस और विश्वास बहुत बड़ी शक्ति हैं : आस प्रभु पर और विश्वास अपने सदगुरु पर- यह आपको आसमान की ऊंचाइयों तक पहुंचा देगा । दृढ़ संकल्प करके अध्यात्म की सीढ़ियां चढ़ते जाइये फिर देखिए क्या चमत्कार आपके जीवन मे घटित होता है !
2 Comments
गुरुदेव मैं आपका बोहोत बड़ा भक्त हू मैं आपसे क्या नाम दान ले सकता हू मैंने नामदान लिया हुआ है, लेकिन क्या मैं आपको भी अपना गुरु बना सकता हू मैं अपने आपको बड़ा सौभाग्यशाली समझूंगा कृपया मुझ पर कृपा करे और बताए
बहुत ही उपयोगी और प्रेरणादायक कल्याणकारी वचन, हरि ऊँ तत्सत्, गुरूदेव चरण स्पर्श।