१. स्वयं को पहचानिये, स्वयं के मित्र बनिए, स्वयं के शत्रु नहीं!
२. शुभ का स्वागत कीजिये, अशुभ का नहीं!
३. अपने लक्ष्य पर स्वयं को केंद्रित कीजिये!
४. स्वयं से वायदे कीजिये, उन्हें निभाईये, इरादा पक्का करना, तरीका भले ही बदल लेना, अपना इरादा कभी मत बदलना!
५. सुख, शांति और आनंद की तलाश करें! जिसके पास शांति है, सुख भी आएगा! सुख शान्ति आ गए तो आनंद भी आएगा!
६. विकसित होना ही जीवन का उदेश्य है! अपनी दृढ़ इच्छाओं को जीवन के ब्लैकबोर्ड पर लिखें , उन्हें विसुअलिज़ करते हुए उन्ही का लक्ष्य बनाएं , उन्हें पूरा करने की कोशिश करें!
७. हर दिन अपनी कीमत को बढ़ाएं , कीमत को घटने न दें!
८. आप ही अपने मित्र हैं, आप ही अपने शत्रु हैं!
९. आप अपनी बुद्धि का प्रयोग इस तरह करें की आपका मन और इन्द्रियां आपको गढः में न गिरने दें ! अपने ब्रेक का इस्तेमाल करके दुर्घटना से बचिए और जीवन को कीमती बनाइये!
1. Identify yourself, be your own friend, not your enemy!
2. Welcome auspicious, not inauspicious!
3. Focus on your goal!
4. Persevere to achieve your goals in any possible way but never give up your goal.
5. Seek happiness, peace, and bliss! With peace comes happiness and then follows bliss.
6. The purpose of life is to grow! Write your strong desires on the blackboard of life, visualize them and aim for them, try to fulfill them!
7. Increase your value every day, don’t let the value decrease!
8. You are your friend and you are your own enemy!
4. You should use your intelligence in such a way that your mind and senses do not let you fall in the pit! Avoid accidents by using your brakes and make life precious!
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Sukriya satguru