यह मन सबसे बड़ी शक्ति है जो व्यक्ति को संसार मे नचाता है : यही आपको भगवान तक भी पहुंचा सकता है और नर्क तक भी!
इसलिए इसको नियंत्रित कर लिया तो मानो आपकी जीत हो गयी ! मन के हारे हार है, मन के जीते जीत!
यह मन ही पूरा हमारे व्यक्तित्व के निर्माण में कार्य करता है । अच्छे बुरे विचार, आशा निराशा के विचार, सात्विकता ओर तामसिकता के विचार – सब इसी से नियंत्रित होते हैं ।
इस लिए गुरु जन यही संदेश देते हैं कि इस मन को संसार से उखाड़ कर करतार के चरणों मे अर्पित कर दो : फिर यह तुम्हे भगवान के दर्शन करा देगा ।
*अपना समय, अपनी शक्ति का सही दिशा में सदुपयोग कीजिये -मन भटकाएगा पर इसके कहने में नही चलना ।
स्वयम को भला बुरा जानने की समझ पैदा कीजिये -कि क्या उचित है और क्या अनुचित – जब यह समझ आ गयी तो आप उच्च शिखर पर होंगे !*
*गुरुदेव एक विधि सिखाते हैं कि मन को नियंत्रित करने के लिए यह प्रयोग कीजिये — कभी एक ही दिशा में देखना है तो लगातार उधर ही देखिये ।
मन कहेगा कि यह क्या पागलपन है: पर उसकी नही चलने देना । लगातार के छोटे छोटे अभ्यास आपको मन की पकड़ करने में सहायक होंगे !*
सबसे ज्यादा इसमे अहम भूमिका निभाता है आपका ध्यान – अगर आपका ध्यान सध गया तो आपका मन सध गया । इसलिए नियम से ध्यान में बैठना शुरू करो : आश्चर्य जनक परिवर्तन आपके अंदर आएगा !
सदगुरु का आशीर्वाद और उनकी कृपायें भी इसमें बहुत सहायक हैं क्योंकि वह अपनी सात्विक किरणे शिष्य के अंदर प्रेषित करते हैं जिससे कोई डाकू साधु बन सकता है। यह गुरु का ही चमत्कार है!