नवरात्री, माँ भगवती की पूजा, अर्चना व ध्यान का पावन अवसर है! माँ दुर्गा अपने भक्तों के जीवन में सौभाग्य लेकर आती हैं, उनके जीवन में तरह तरह के अवसर लाती हैं एवं धन, धान्य व बुद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
नवरात्री के इस पावन अवसर पर माँ से बौद्धिक शक्ति, सुबुद्धि, सुदृष्टि, सुन्दर व्यवहार, प्रेम, पराक्रम, स्थिरता, भक्ति और श्रद्धा का आशीर्वाद मांगे ताकि आप धर्म के पवित्र मार्ग पर सदा आगे बढ़ते रहें! माँ दुर्गा की शक्तियां अपने कई रूप में भक्तों के भीतर विराजमान होती हैं।
माँ दुर्गा की पूजा नौ रूपों में की जाती है इसलिए इसे नवरात्र का नाम भी दिया गया है! श्रद्धाभाव से भक्त माँ की प्रतिमा स्थापित करते हैं, विभिन्न प्रकार से उसे सजाते है! श्रृंगार करते हैं जिससे माँं का सौम्य रूप दृष्टिगत हो!
नवरात्रि के पावन अवसर पर विभिन्न अनुष्ठान भी आयोजित किये जाते हैं, जप,तप, यज्ञ, याग आदि सभी विधियों को शामिल किया जाता है!सबसे महत्वपूर्ण है कि हम जगदम्बा को अपने ह्रदय में बसा लें !
सुप्त शक्तियां जगाता है दुर्गा सप्तशती का पाठ! दुर्गा सप्तशती में कल्याणकारी एवं सुखदायी शक्तियों के आह्वान हेतु कई मंत्र दिए गये हैं जो अद्भुत हैं। माँ दुर्गा के आशीर्वाद के लिए नवरात्री में इस असाधारण ग्रन्थ का भी पाठ करें।
कलश स्थापना करना और ज्वारे यानि जौ बोना, भी इन नवरात्री का अभिन्न अंग है! जब सृष्टि की शुरुआत हुई थी तो सबसे पहली फसल जौ की हुई थी और अन्न ब्रह्मा है! यह समृद्धि का भी प्रतीक है!
शक्ति उपासना में सबसे अधिक महत्व दिया जाता है पवित्रता को, सात्विक जीवनशैली को और स्वयं पर नियंत्रण को! इस लिए भक्त व्रत भी रखते हैं!
सात्विक भोजन हो, सात्विक आचरण हो और सात्विक विचार होना और भी आवश्यक है! सात्विकता के लिए अपने भोजन पर विशेष ध्यान दिया जाता है! प्याज, लहसुन, मदिरापान, नशा आदि तामसिक वस्तुओं का सेवन वर्जित है! क्योंकि इनसे आपकी एकाग्रता भंग होती है और पूजा में ध्यान नहीं लगता !
शक्ति उपासना में चक्र साधना का बहुत महत्व है! नवरात्रि में अलग अलग चक्रों में देवी का स्वरूप जागृत करें, शक्ति हमारे अंदर समाहित हो जाये, प्रतिदिन मूलाधार से प्रारंभ करते हुए अपने सहस्रार चक्र तक ऊर्जा को ऊपर उठाना होता है!
मूलाधार चक्र में शक्ति काली के रूप में विराजमान है! उसको जागृत करते हुए सहस्रार चक्र तक गौरी के रूप में ले जाना है! यही वह स्थान है जहां शिव और शक्ति का मिलन होता है! और साधक का लक्ष्य पूर्ण माना जाता है!
ध्यान के माध्यम से अपनी ऊर्जा को, कुंडलिनी शक्ति को, चक्रों को पार करते हुए ऊपर उठाना है! क्योंकि यह दिन बड़े विशेष हैं जिसमें साधना विशेष फलदायी होती है !
व्रत, अनुष्ठान, नृत्य, डांडिया रास, गीत, भजन सभी कुछ कीजिये आनंद मनाइए , ध्यान भी कीजिये और चक्र जागरण भी- जीवन आनंद से भर उठेगा!
नवरात्री मनाने की विधियां अनेक हैं! लेकिन सबका मूल उद्देश्य है कि जीवन में शक्ति का जागरण हो, उल्लास आए , सकारात्मकता आये और सभी का कल्याण हो!
यह नवरात्र सभी के लिए शुभ हों, मंगलमय हों, सबके घर मे खुशियां आएं! देवी माँ का और गुरुदेव का आशीर्वाद सभी भक्तों को प्राप्त हो; हम अपने लक्ष्य को जाने, लक्ष्य को पहचानें और उसमें सफलता प्राप्त कर सकें !
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Gurudev Acharey Sudhanshuji Maharaj ko koti koti pernam RAM RAM,Jai Shree Ram,Jai Hanuman.