नववर्ष का आगमन होने वाला है, पुराना साल जाएगा, नया आएगा, नवीन उत्साह के साथ सभी उत्सुक हैं : परंतु हमें किस प्रकार अपने को अंदर से नया बनाना है इस पर विचार करना चाहिए !
यूं तो हम प्रतिवर्ष साल बदलने की प्रतीक्षा करते हैं , साल आता है, चला जाता है – फिर नया साल परंतु क्या हमने कभी विचार किया है कि हमने अपने अंदर कितना बदलाव लाया है – जब तक हम स्वयम को नही बदलेंगे, नया वर्ष कुछ नही दे पाएगा !
प्रश्न आता है कि हमे क्या बदलाव लाना होगा – हमे अपने जीवन शैली को बदलना होगा, अपने विचारों को बदलना होगा, अपनी सोच को बदलना होगा और इस सबके लिए शांत मस्तिष्क से विचार कीजिये कि क्या रूपरेखा बनाई जाए !
सबसे पहले अपनी जीवन शैली को ठीक कीजिये – अपना समय निर्धारित करना है हर कार्य के लिए “यूं ही सुबह हुई, शाम हुई, ज़िन्दगी यूं ही तमाम हुई” ऐसा नही होने देना । भगवान ने नापतोल कर जो हमे वक्त दिया है उसके प्रत्येक क्षण का बुद्धिपूर्वक उपयोग करना है !
जब आप समय की कीमत समझने लगते हैं तो जीवन मूल्यवान बनता है – खाने का, पीने का, सोने का , जागने का हर चीज का समय निश्चित होना चाहिए ! इसके बाद आता है कि नव वर्ष में हम संकल्प लें कि अपने नियमो में सुदृढ़ होना है : नियम ही आपको जिताता है और प्रभु के नज़दीज ले जाता है : जिसका नियम पक्का है उसे कोई हिला नही सकता !
नियमित , अनुशासित जीवन के साथ अपने विचारों में सुदृढ़ता, सात्विकता लाइये , जितने ऊंचे विचार होंगे, आपकी प्रगति उतनी ही अधिक होगी। मलिन और नकारात्मक विचारों को अपने मस्तिष्क में ना आने दें !
नव वर्ष में यह भी संकल्प लेना है कि हमारी यात्रा आध्यात्म की ओर बढ़ती जाये , कैसे अपने प्रभु के निकट हो सकें क्योकि वास्तविक शांति और आनंद का स्रोत तो परमात्मा ही है – जितना हम उससे कनेक्ट होते जाएंगे उतना ही जीवन सुख शांति से भरपूर होता जाएगा !
इस लिए नाव वर्ष का सबसे बड़ा संकल्प यही लेना है कि हमे अपने पूरे व्यक्तित्व को नया बनाना है: मात्र नए वस्त्र, आभूषण या ओर समान – नया ले लेने से हम नये नहीं हो जाते- अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए अपना आध्यात्मिक स्तर ऊपर करना है जिससे नव वर्ष हमारे लिए चमत्कारिक साबित हो, अपने भगवान की शरण मे जो, अपने सदगुरु की शरण मे जो, उनके आशीर्वाद ओर कृपायें प्राप्त करते हुए नव वर्ष में नवीनता भरो !
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शत् शत् नमन गुरुदेव
अनंत कोटि धन्यवाद गुरुदेव