शांति ही आधार है सुख का , आपके पास कितनी भी समृद्धि हो परंतु यदि मन मे शांति नही होगी तो वह ऐशो आराम से भरा जीवन भी व्यर्थ ही लगेगा!
नीव है सुख की , क्योकि अशांत व्यक्ति कही भी चला जाये , बाहर का वातावरण उसे सुख नही दे सकता ! यदि मन मे शांति होगी तो हर दृश्य का आनंद आप लेंगे अन्यथा सब झूठ ही नज़र आएगा !
अब प्रश्न यह उठता है कि शांति आती कैसे है । मन को नियंत्रित करना , अत्यधिक महत्वाकांशी होना, ओर बिखरा हुआ मन — यह सब अशांति देने वाली चीजें हैं। इएलिये अपना आत्मावलोकन करना आवश्यक है कि हम कही अधिक बाहर की ओर तो नही भाग रहे।
स्वयम का सुधार स्वयम ही सम्भव है । शांति आएगी अपने नियमो को सही रखने से, अपनी दिनचर्या को ठीक रखें, भोजन में भी नियंत्रण चाहिए : सात्विक भोजन, अल्पाहार , यह सब मानसिक स्थितियों को ठीक करने में सहायक हैं।
आपकी प्रगति भी शांत रहकर ही सम्भव है – घर मे शांति होगी तो आपका घर प्रेम मंदिर बनेगा अन्यथा कलह क्लेश होता रहेगा : कार्यस्थल में शांति होगी तभी विकास संभव होगा – सब कुछ शांत वातावरण में ही सम्भव है ! आपका स्वास्थ्य भी आपकी शांति से जुड़ा हुआ है : शांत ह्रदय, मन, मस्तिष्क वाला व्यक्ति स्वस्थ रहेगा, प्रसन्न रहेगा और प्रसन्नता को ही बांटेगा।
यदि आप संबुद्ध सदगुरु से जुड़े हुए हैं तो आपका पतन कभी भी सम्भव नहीं । गुरु ही शांति का मार्ग दिखाते हैं , आसान पर बैठाकर , ध्यान में डुबकियां लगवाकर , आपके जीवन को एक ऐसे सूत्र में बांध देते हैं जहां से शांति का मार्ग जाता है : प्रसन्नता, आनंद और सुखी जीवन ! इसलिए आवश्यक है कि अपना मार्गदर्शक , अपना जीवन का निर्माता , अपना गुरु का हाथ पकड़े : वही उस नैया पर बैठाकर पार लगाएंगे जहां से सुख ही सुख है : परम शांति: गहन शांति और आनंद !
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Very nice article.