जीवन हर पल बदल रहा है जैसे नदी का जल कभी भी एक स्थान पर एक जैसा नहीं रहता, वैसे ही जीवन में भी हर दिन एक जैसा नहीं होता! बदलाव तो आएगा, कभी चाहा और कभी अनचाहा! अगर बदलाव को स्विकार करोगे , और उसके साथ बहना सीख जाओगे तो जीवन की नदिया को पार कर जाओगे! बदलाव को स्वीकार करना इतना सरल नहीं! बदलाव स्वीकार करने के लिए कुछ आत्मचिंतन के सूत्र।
जीवन मे बदलाव लाना है तो स्वयम को व्यवस्थित कीजिये ,सबसे महत्वपूर्ण है आपकी दिनचर्या – जब तक वह व्यवस्थित नही होगी ,कोई परिवर्तन संभव नही !
आपके नियम आपके जीवन के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण है – अपने समय का निर्धारण जब तक नही करोगे की किस कार्य के लिए कितना समय देना है : तब तक समय का सदुपयोग नही कर पाओगे !
इसके बाद आते हैं आपके विचार , जितने ऊंचे, पवित्र विचार होंगे, जीवन उतना ही उत्कृष्ट होता जाएगा -इसलिए अपने विचारों को सात्विक एवम पवित्र बनाना आवश्यक है !
इसके साथ ही अपने आहार पर भी नियंत्रण करना होगा – नपा तुला संतुलित एवम पौष्टिक आहार ही जीवन का हिस्सा है : भोजन से ही हमारा व्यक्तित्व निर्माण होता है और वैसी ही सोच बनती है !
पवित्र आध्यात्मिक जीवन आपको ऊंचाई की तरफ ले जाता है , ध्यान, भजन, पूजा पाठ यह सब वह क्रियाएं हैं जिनसे जीवन का निर्माण होता है – दृष्टिकोण परिवर्तित होता है , इसलिए स्वयम की दिनचर्या में यह शामिल अवश्य कीजिये !
यह मानकर चलिए की परिवर्तन तो प्रकृति के नियम है, बचपन, जवानी, वार्धक्य ओर बुढापा यह सब प्रक्रियाएं स्वयम ही चलती रहेंगी और शनः शनः जीवन सरकता जायेगे अंतिम यात्रा की ओर !
इसलिए समय रहते अपने को सुधार करना और अपने जीवन मे आमूल चूल परिवर्तन लाना , अति आवश्यक है अन्यथा मनुष्य योनि पाकर भी व्यर्थ गंवा दोगे- जागो ओर अपना उद्धार करो !
हरि ॐ 💐
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Guru ji ko pranaam