निवेदन कीजिए भगवान से! दयानिधान कृपानिधान सच्चिदानंद स्वरूप परमेश्वर, घट घट वासी अंतर्यामी अजर अभय असीम अनंत सर्वाधार सर्वेश्वर सर्वशक्तिमान, तुम ही राम हो कण कण में बसने वाले और तुम ही आकर्षण बिंदु कृष्ण हो, तुम ही पालनहारे विष्णु हो, तुम ही जग के नियंता हो प्रभु, तुम ही सबका कल्याण करने वाले, सुख शांति और आनंद देने वाले शिव हो!
आपको श्रद्धा भरा प्रणाम हमारा प्रभु! हमारी त्रुटियों हमारी गलतियों हमारी भूलों को क्षमा करना प्रभु! अबोध बच्चे हैं आपके, अनेक अनेक गलतियां करते करते हम अपनी आदतों के गुलाम बन गए! जब आप किसी का हाथ पकड़ कर डूबते हुए को ऊपर उबारते हैं, निश्चित रूप से सुरक्षित रहता है।
भवसागर में माया के इस भाव जाल में हर कोई डूबा है हर कोई उलझा है। इस धरती पर आप की कृपा जब होती है किसी पर, जीवन में धर्म आता है गुरु आता है। ऊपर से कृपा आपकी बरसती है, धरती से सद्गुरु कृपा करते हैं, और धर्म का मार्ग व्यक्ति को मिल जाए, धीरे धीरे धीरे धीरे जीवन में मैल गलने लगती है! पाप छूटने लगते हैं, आवरण मिटने लगता है! आत्मा पवित्र होने लगती है, हम अपनी ऊंचाई पर जाने लगते हैं!
जीवन में नाम जप सिमरन सेवा सत्कर्म स्वाध्याय सत्संग और सद्गुरु संतोष सहयोग सद्भावना सहानुभूति संतुष्टि संयम साधनायें ये सारी शक्तियां आने लगती हैं! इसी से आती है समृद्धि, इसी से आती है शक्ति, और इसी से समाधि खिलती है! इसी से कल्याण होता है।
हे प्रभु हमारा मार्ग प्रशस्त हो, हमें राह दिखाइए हमारा हाथ पकड़िए! अपने नाम जपने के लिए अपने आसन पर बैठने का अधिकार दीजिए!
और नाम जपने में रस आने लग जाए, सेवा में रास आने लग जाए, कर्मयोगी का जीवन जी सकें, सभी का कल्याण हो! आशीष दीजिए!
ॐ शान्ति: शान्ति शान्ति: ॐ
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ईश्वर को रो कर पुकारो, भाव के साथ। वह जरूर सुनेगा
ॐ गुरुवे नमः