प्रार्थना – दयालु कृपालु देव सर्वशक्तिमान भगवान! तू ही विधाता है भाग्य विधाता! कर्मफल प्रदाता! सभी का दाता सभी का रक्षक! सभी का स्वामी और कण कण में बसने वाला हर हृदय में बसने वाला।
हे प्रभु सब की डोर आपके हाथों में है फिर भी आपने सबको स्वतंत्रता भी दी है अपना अपना कर्म करने की अपनी अपनी जिंदगी जीने की। मनुष्य स्वयं ही अपनी अपनी सीमाओं में बंधा हुआ अपनी हद बांध रखी है! अपनी अपनी चारों तरफ चारदीवारी बना रखी है! गोल घेरे खींचे हुए जिसमें गोल गोल घूमते घूमते जिंदगी पूरी कर लेते हैं!
परमेश्वर जब आपकी कृपा होती है तो जीवन में सद्गुरु आते हैं!
आपकी कृपा होती है सत्संग मिलता है! आसन पर बैठने का अधिकार मिलता है! नाम जपने में रुचि आती है! हाथ सेवा करने के लिए तत्पर होते हैं! तन से मन से धन से व्यक्ति परोपकारी बनता है!
अपने मुख की ओर तो हर कोई व्यक्ति खाना भोजन दाना सब कुछ डालता है पर दूसरों पर तरस खाना तभी शुरू होता है जब आप किसी पर करुणा करते हैं और उसके हृदय में अपना प्रेम देते हैं।
तो अपना भला अपनों का भला फिर सब का भला सबके लिए कुछ ना कुछ करते हुए जीवन को ऊंचा उठाना।
हे प्रभु आप से यही विनती है हम भीड़ का हिस्सा बनकर भीड़ में न खो जाएं! कुछ बड़ा करें बड़े हों!
जिस पर आपकी कृपा होती है वो आकाश की बुलंदियां छू लेता है! जो यह कृपा नहीं प्राप्त कर पाता वो अपनी उलझनों में ही छोटे-छोटे दुखों के बीच में ही उन्हें बड़ा दुख बनाकर उन्हीं में घिरा हुआ अपने आंसू बहाता हुआ अपनी बेबसी पर रोता हुआ दुर्भाग्य का गीत गाता हुआ अपनी जिंदगी पूरी कर लेता है।
सब बंधनों को तोड़कर पिंजरों को तोड़कर ऊंची उड़ान भर सकें, अपना लक्ष्य याद रखें! प्रभु हमें आशीष दो! सभी का कल्याण हो! सबकी झोलियां भरी रहें! सबके चेहरे पर मुस्कुराहट आए!
आपके दर से जुड़े हुए जो भी भक्त इस समय इस अरदास को प्रार्थना को कर रहे हैं प्रभु अपनी करुणा दृष्टि उन पर डालिए! उनके जीवन के अंधेरे दूर हों! निराशाएं हटें! और उत्साह आशा विश्वास जीवन में जागृत हो!
प्रार्थना को स्वीकार करना प्रभु!
ॐ शांति शांति शांतिः ॐ