दोनों हाथ जोड़ लीजिए सभी! प्रेम पूर्वक आंखें बंद कर लें! माथे को ढीला छोड़िए, चेहरे पर शांति और प्रसन्नता का भाव, अपने होठों पर मुस्कुराहट लाइए! संकटहर्ता मंगलकर्ता परमेश्वर के स्वरूप को ध्यान में लाइए! जिस नाम का आप स्मरण करते हैं ! परमात्मा का नाम जिससे प्रभु का स्तवन करते हो उस नाम को मन में तीन बार उच्चारण कीजिए! लंबा गहरा श्वास भरें, ओंकार का उच्चारण करें! यही विनती है!
हे! जगदाधार जगदीश्वर सर्वधार सर्वेश्वर सच्चिदानंद स्वरूप परमेश्वर चरण शरण में उपस्थित होकर हम आपके बालक बालिकाएं आपको श्रद्धा भरा प्रणाम करते हैं! अनंत दया कृपा सब पर आप निरंतर करते जाते हो प्रभु! सर्वत्र ही आपके नियम आपकी व्यवस्था इस पूरे संसार में कार्य करती है।
सभी जड़ चेतन जगत आपके नियमों में बंधा हुआ है, उन्हीं के अनुसार ही हम सब लोग अपने कर्म बंधन में बंधे हुए इस दुनिया में आते हैं।
अपने कर्मों का भोग भोगते हुए नए सिरे से कर्म करते हुए अगले फिर कर्म व्यवस्था में जन्म बंधन की व्यवस्था में चल पड़ते हैं।
जीवन में जब गुरु का उदय होता है भक्ति आती है ज्ञान का प्रकाश जीवन में आता है नियम से व्यक्ति बंधता है श्रद्धा भाव से गुरु के चरणों में प्रीति रखता है।
नियम संयम से जब जीवन चलने लगता है! यज्ञ-याग दान पुण्य सत्कर्म करने में प्रवृत्ति होने लग जाए जन्मों जन्मों का जो भी पाप ताप हमारे साथ जुड़ा हुआ है जैसे दीपक जलते ही अंधेरा दूर होने लगता है वैसे मनुष्य के कलमष कटने लगते हैं और उसका अहंकार गलने लगता है।
विनम्र सज्जनता से विनयशीलता से भरपूर होने लगता है।
धीरे-धीरे जीवन में वह सात्विक प्रकाश आता है! जिससे प्रभु के चरणों की ओर बढ़ने लगता है! यह प्रभु आपसे ये प्रार्थना करते हैं हम!
हमारे जीवन में धर्म आया धर्म स्थापित हो! भक्ति जीवन में आई हमारे हृदय में भक्ति स्थापित हो पुण्य कर्म करने की इच्छा भी जागृत हुई है तो हमारे हाथों में पुण्य कर्म करने की शक्ति स्थापित हो। ये पग आपकी राह पर चलने लग जाएं। जिव्हा आपका नाम गाने लग जाए। मन मस्तिष्क में आपके ही भाव तरंगे आने लग जाएं। हृदय आपके प्रेम में विह्वल हो।
प्रभु! आने वाला समय हमारा मंगलमय हो! सौभाग्य आरोग्य स्वास्थ्य से लेकर समृद्धि विजय यश कीर्ति संपूर्ण सफलताओं के साथ घर परिवार में प्रेम आनंद बना रहे। कर्तव्य कर्म हम अपने सब कर सकें इस पृथ्वी का रोग शोक कष्ट क्लेश मिटे। सभी का कल्याण हो प्रभु यही हमारी विनती और प्रार्थना है आपके चरणों में। हमारी याचना वंदना अभ्यर्थना को आप स्वीकार कीजिए। यही विनती है प्रभु स्वीकार हो।
ॐ शान्ति शान्ति शान्ति: ॐ