हम ये प्रार्थना करते हैं प्रभु! सभी का जीवन सुखी और समृद्ध हो | Prayer | Sudhanshu Ji Maharaj

हम ये प्रार्थना करते हैं प्रभु! सभी का जीवन सुखी और समृद्ध हो | Prayer | Sudhanshu Ji Maharaj

हम ये प्रार्थना करते हैं प्रभु! सभी का जीवन सुखी और समृद्ध हो

हम ये प्रार्थना करते हैं प्रभु! सभी का जीवन सुखी और समृद्ध हो

हम ये प्रार्थना करते हैं प्रभु! सभी का जीवन सुखी और समृद्ध हो

हे परमेश्वर आपको हम प्रणाम (प्रार्थना) करते हैं प्रभु! समस्त कृपाओं के प्रति आभारी हैं। आप सब में हो सब के सगे हो! सभी संबंधों से युक्त माता पिता बंधु सखा जो भी रिश्ते दुनिया के हैं सभी रिश्ते तो हम आपसे जोड़ ही सकते हैं। आप ही परम चैतन्य हो और हम सब जीव आत्माएं चैतन्य रूप हैं। इस चैतन्य को महा चैतन्य से मिलकर के ही परम आनन्द परम शान्ति की प्राप्ति होती है।

जितना जितना हम प्रकृति से और संसार से जुड़े रहते हैं! तो प्रकृति के फिर वो तीन गुण सत्व रज तम अपने प्रभाव हमारे ऊपर लेकर आते हैं!
और उनके प्रभाव के कारण ही हमारा स्वभाव कुछ अलग हो जाता है जो वास्तव में हमारा स्वभाव नहीं होता।

हमारा स्वभाव जो मूलरूप से हमें दिया गया वो प्रेम का, निर्भयता का, निश्चिन्तता का और शांति और प्रसन्नता का आनन्द का स्वभाव दिया गया था। लेकिन जैसे जैसे हम संसार मे रंगते जाते हैं हम अपने मूल स्वभाव को भूल जाते हैं! राजा होकर भी भिखारियों की तरह रहते हैं। शक्तिमान होकर भी निर्बल की तरह व्यवहार करते हैं।

हम  प्रार्थना करते हैं प्रभु

हमारे पास में समझ है! लेकिन जैसे नशे वाला व्यक्ति नासमझी की हरकतें करता है ऐसा हमारा जीवन हो जाता है। हम ये प्रार्थना करते हैं प्रभु! हम अपने मूल स्वभाव में उतरें और इस संसार में अपने कर्तव्य कर्म करते हुए, संसार हमें दिया गया है! कि हम इस संसार में कर्म करते हुए अपने कर्मों की परीक्षा को पास करें और पिछले जो कर्म हम करके आए हैं !उनका शोधन कर सकें।भोगें भी, उन्हें धोकर स्वयं को स्वच्छ करें। तो इस यात्रा में भी हम सफल हों और यहीं तक हम न रह जाएं हम आप तक भी पहुंच सकें!

हमारे लिए जीवन में सबसे बड़ा कोई लक्ष्य अगर हो सकता है तो प्रभु आप हैं, संसार बाद में! जिसके लिए संसार पहले है और परमात्मा बाद में वह प्रभु की कृपा से युक्त नहीं हो पाता! जिसे भगवान पहले, भगवान का कार्य, भगवान की सेवा, भगवान के बंधुओं के बीच में रहकर भगवत चर्चा में जो शामिल रहता है और जो भी कुछ खाता-पीता है, मानता है की भगवान का प्रसाद है, भगवान के लिए जीता है, कर्म करता है, व्यवहार करता है, चेष्टा करता है वह भगवतमय हो जाता है।

विनती  हमारी स्वीकार हो

उस पर प्रभु की कृपा हर समय रहती है! उसका योग क्षेम भगवान वहन करते हैं! उसे क्या मिलना चाहिए क्या सुरक्षित रहना चाहिए उसको हर तरह का संरक्षण भगवान देता है। प्रभु हम इस संरक्षण को प्राप्त कर सकें आपकी कृपाओं को प्राप्त कर सकें! हमें वो योग्यता प्रदान कीजिए। यही विनती है हमारी। स्वीकार हो।

ॐ शान्ति शान्ति शान्तिः ॐ

3 Comments

  1. Rajesh Kumar says:

    Pls send Guru ji aashram address

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