आपका शौर्य ,कला, प्रतिभा पिछले जन्म के अर्जित पुण्यों से प्राप्त होती हैं लेकिन उनको इस जन्म में जागृत करना होता है! हमारी शक्तियां जागृत करने के लिए एक महान शक्ति की आवश्यकता होती है जिसको हम गुरु के रूप में मानते हैं! जब एक योग्य गुरु और योग्य शिष्य आमने सामने आते हैं तो इतिहास बदलता है।
हमारी योग्यता को कई गुना बढ़ाने के लिए गुरु शक्ति की आवश्यकता पड़ती है। हमारा जीवन सार्थक और ऊंचा बनाने में गुरु की भूमिका महत्वपूर्ण है।
गुरु शिष्य की परंपरा बहुत अद्भुत है। चाणक्य और चंद्रगुप्त, निवृत्तीनाथ- ज्ञानेश्वर, रामकृष्ण -विवेकानंद, गुरु प्राणनाथ- छत्रसाल, दादू दयाल- शिष्य रज्जभ, ऋषि पतंजलि और शिष्य पुष्यमित्र ऐसी बहुत बड़ी श्रृंखला है।
जो आपको दिशा दिखाएं, आपको आपसे मिलाए, आपके अंदर की विशेषता को बढ़ाकर आपको खास बनाएं, आपके अंदर ज्ञान का दीप जलाए, जो आपका भाग्य सौभाग्य में बदले, जो आपको दिव्य दृष्टि दे, जो संसार सागर के पार जाने का मार्ग दिखाएं वह तीरथ सद्गुरु है।
सृजन शक्ति जो ब्रह्मा से आती है, विकास और उन्नति की शक्ति- जो भगवान विष्णु से आती है, और आनंद- संतुष्टि की शक्ति जो भगवान शिव से आती है, यह तीनों शक्तियां सद्गुरु के द्वारा शिष्य को मिलती हैं।
अगर आपकी श्रद्धा गहरी है, और आपका ह्रदय संवेदनशील है तो गुरु की आवाज अंदर से सुनाई देगी। आप गलत कर रहे हो तो कोई शक्ति आपको रोकेगी। यही शक्ति सतगुरु की शक्ति है। कभी-कभी अंदर शाबाशी भी महसूस होगी।
मां पृथ्वी का रूप है- जिसमें दुनिया बसती है। गुरु को भी माँ समान मन जाता है! महाराष्ट्र में उनको गुरु माऊली कहा जाता है! आपके जीवन में विस्तार, उन्नति ,शांति, चैन, अनुकूलता, आनंद हो, सुबुद्धि हो इसमें गुरु की बड़ी भूमिका है। गुरुकृपा को प्राप्त करने की विधि सीखिए! गुरु को पूर्ण समर्पण करने से ही उनकी कृपा प्राप्त होगी! गुरु तत्त्व सभी के अंदर विराजित है बस उसको जागृत करना होता है! इसके लिए ध्यान और गुरुभक्ति करो!