सब धरती कागज करूँ, लेखनी सब वनराई सात समुद्र की मसि करूँ! गुरु गुण लिखा ना जाये ,गुरु गुण लिखा ना जाये गुरुपूर्णिमा का पर्व प्रति वर्ष आषाढ़ माह की पूर्णिमा पर आता है! यह अदभुत पर्व है जिसमे प्रत्येक शिष्य को अपने सदगुरु के दर पर अवश्य पहुंचना होता है !
गुरु के अंदर आज ब्रह्मा विष्णु महेश सभी त्रिदेवो की शक्तियां विद्यमान होती है जो उनके माध्यम से शिष्य के भाग्य चक्र पर पहुंच रही होती हैं ::साक्षात परब्रह्म का स्वरूप लेकर बैठते हैं सदगुरु !
वैसे तो हर पूर्णिमा पर ही गुरु दर्शन का महत्व है परंतु गुरुपूर्णिमा विशेष रूप से फलदायी होती है क्योंकि इस दिन शिष्य को गुरु के दर पर बैठकर अपना पूरे वर्ष का लेखा जोखा प्रस्तुत करना होता है !
पूरे वर्षकी गलतियों के लिए क्षमा याचना करनी होती है और कितनी प्रगति हमने आध्यात्मिक पथ पर की – इसका भी प्रस्तुतिकरण करना होता है!, यही वह दिन है जहाँ से हम नवीनीकरण का पथ भी चुनते है कि हमे कैसे भक्ति मार्ग पर आगे बढना है !
प्रत्येक शिष्य अपने गुरु के उपवन का एक पुष्प है जितना शिष्य प्रगति करता है! गुरु भी उसे देखकर प्रसन्न होते हैं , इसलिए हमें गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु के समक्ष बैठकर आध्यत्मिक प्रगति करने का वचन देना चाहिए !
गुरुपूर्णिमा के दिन जब शिष्य गुरु के समक्ष होता है! और गुरुकी मेहर भरी दृष्टि , शिष्य के आज्ञा चक्र ओर पड़ती है , वही से भाग्योदय होना शुरू होता है -इसलिए इस दिन हर प्रकार से प्रयत्न करके गुरु के दर्शन करना अति आवश्यक माना गया है!
यदि किसी कारण दूरी वश आप पहुंचने में समर्थ न हो सके तो घर के मंदिर में गुरु का चित्र रखकर, दिया जलाकर पुष्प, द्रव्य रखकर मानसिक रूप से उसी प्रकार पूजन करने का विधान है मानो साक्षात दर्शन हो रहे हैं और गुरु का वरद हस्त आपके शीश पर आया हुआ है!
गुरु पूर्णिमा के दिन ही आप यदि नई माला लगाना चाहते है तो लगाए, संभव हो तो गुरु से स्पर्श कराकर नवीन ऊर्जा से परिपूर्ण होकर मंत्र जाप प्रारम्भ करें-आज का विशेष दिन जब चारो ओर से ब्रह्मांड की ऊर्जा गुरु की ऊर्जा के साथ जुड़कर बेहद प्रभावशाली हो जाती है !
इसलिए इस गुरु पूर्णिमा को अनमोल बनाएं! गुरु के दर्शन करके उनसे अपने गुरु मंत्र को पुनः जागृत करने का आशीर्वाद प्राप्त करें! उनके आशीर्वाद, उनकी कृपायें, उनके वरदान! सभी से अपनी झोलिया भरकर अपने जीवन को नया आयाम दे! आशीर्वाद मांगें कि घर ,परिवार, सुखी समृद्ध बना रहे! हमारी आस्था और विश्वास गुरु के चरणों मे ओर सुदृढ़ हो !
शास्त्रों में कहा गया है! कि यदि ईश्वर आपको श्राप दें तो इससे गुरु आपकी रक्षा कर सकते हैं परंतु गुरु के दिए श्राप से स्वयं ईश्वर भी आपको नहीं बचा सकते हैं। इसलिए कबीर जी कहते भी हैं
गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागूं पाँय। बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय॥
गुरु पूर्णिमा के सबसे शुभ दिन पर, आइए हम अपने आप को एक सच्चे गुरु के दिव्य गुणों और सद्गुणों की याद दिलाएं, ताकि हम अपने सौभाग्य की सराहना कर सकें और उस गुरु के प्रति अपना आभार व्यक्त कर सकें जो इस आध्यात्मिक यात्रा में हमारा पोषण और मार्गदर्शन करते हैं।
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ॐ श्री Guruwe Namah