“संगीत से भी मधुर ,फूल से भी सुंदर, कोमलता से भी कोमल ,आकाश से भी ऊँचा ,सागर से भी गहरा , जिसे देखकर ईश्वर का अहसास होता है ,जो आपसे आपका परिचय कराता है:: वह केवल मेरा सदगुरु है : हमारा प्यारा सदगुरु है!”
शुक्लपक्ष की एकादशी, 2 मई 1955 एक ऐसा उल्लास का पर्व था जब परम पूज्य सतगुरु, आदरनिय और करोड़ों श्रद्धालु शिष्यों के प्यारे सुधांशु जी महाराज का इस पावन धरा परअवतरण हुआ !
2 मई का शुभ दिवस प्रत्येक शिष्य के रोम रोम में बसा है क्योंकि यही है सबके जीवन का अमृतस्रोत्र! हम सभी कृतज्ञ है उन माता पिता के जिन्होंने इस विश्व को एक अनमोल, जागृत, परमज्ञानी, विश्वविख्यात संत का उपहार भेंट किया! जिस प्रकार कोयला अनेक ताप सहकर हीरा बनता है उसी प्रकार जन्मों की तपस्या का फल होता है जब कोई आत्मा महान आत्मा बनकर एक सतगुरु रूप में प्रकट होता है! असंख्य जन्मों की तपस्या का फल होता है जब किसी मनुष्य को एक जागृत सतगुरु का सानिध्य प्राप्त होता है ओर उसका उद्धार करता है !
पृथ्वी ग्रह पर दिव्यात्मा के रूप में आकर गुरुदेव सभी का कल्याण करना चाहते हैं! सारा विश्व आनंदित है अपने गुरु को पाकर जिनका सम्पूर्ण जीवन मानवता के लिए अर्पित हो गया! पूज्य महाराजश्री का उदेश्य रहा है विश्व में आत्म जाग्रन की लहर लाना! विभिन्न प्रकार से गुरुदेव ने सोते हुओ को जगाने का प्रयत्न किया है! उठो, जागो अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हो! गुरुदेव कहते हैं, ”यह मानुष जीवन चौरासी लाख योनियों से गुजरने के बाद मिला है! इसका एक एक क्षण बहुमूल्य है , इसे संभालो’!
देश विदेश में गुरुदेव ने प्रत्येक उम्र और वर्ग के लोगों को एक ही प्रेरक सन्देश दिया है! कि स्वयं को जानो, स्वयं के अंदर सकारात्मकता का संचार करो, अपना उद्धार स्वयं ही करना सीखो! उनके प्रेरक वचनों में दिव्य ऊर्जा है, दिव्य ज्ञान है और जो इनके एक भी वचह्न को अपनी जीवनशैली में बुन लेता उसका कल्याण निश्चित है!
महाराजश्री ने जीवन पथिक के लिए अनेक सुगम सूत्र दिए हैं! और सभी को आमंत्रित करते हैं की एक बार उनके सिखाये मार्ग पर जो चलेगा, उसको परमानन्द की अनुभूति आवश्ये होगी और लाखों भक्तों को हो भी रही है!
विश्व को एक अद्बुध भेंट! जो गुरुदेव ने दी है वह है गीता का अमृत ज्ञान! भगवान् कृष्ण द्वारा जीवन के लिए अनमोल और मूल ज्ञान को उत्तम और सरल शब्दों में जन जन तक पहुंचाते हैं! हमारे सद्गुरु देव महाराज! सफल जीवन के लिए कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग का समन्वय सिखाते हैं महाराजश्री! साथ ही वह हमें ध्यान की सतल गहरायिओं में ले जाकर उस परमतत्व की अनुभूति भी करवाते हैं जहाँ से आरम्भ होती है उस परमात्मा से मिलन की यात्रा!
महाराजश्री ने दिल्ली में निर्माण किया है! एक अद्बुध, दिव्य प्रयोगशाला का जहाँ देश विदेश से भक्त आकर निवास करते हैं और यह है हम सभी का उर्जाकेंद्र आनंदधाम आश्राम! इस आश्रम के परिसर में दिव्य आभा मंडल का एहसास आपको स्वतः होगा! परम भाग्यशाली हैं हम जिन्हें ऐसे दिव्य गुरु का सानिध्य प्राप्त हुआ! गुरु पुकार रहे हैं: उठ, जाग मुसाफिर न सोये रहो; फिर अंत समय पछतायेगा! बहुत मोहनिद्रा में सो लिए : जीवन की घड़ियां व्यर्थ न खो; ॐ जपो हरी ॐ जपो!
सिमरन, सत्संग, स्वाध्याये के साथ सेवा को अधिक महत्व देते हैं गुरुदेव! उनका आग्रह है की सेवा आपके भाग्य को पवित्रता प्रदान करती है! जब समय अनुकूल न हो तो और सेवा करो! अनेकों सेवा प्रकल्प गुरुदेव के निर्देशन में मिशन चला रहा है जैसे की गुरुकुल, बाल आश्रम , गौशाला ,अस्पताल, और भी बहुत से सेवा कार्य हो रहे हैं जिनका वर्णन करना संभव नही! धन्यभागी हैं हम! जो इतने संबुद्ध, प्रबुद्ध ,शास्त्रों के ज्ञाता ,ज्ञान के भंडार गुरुदेव की शरण हमे प्राप्त हुई! ईश्वर से सभी गुरुभक्त यही मंगल कामना करते हैं कि हमारे सदगुरु को स्वस्थ, जीवन, लंबी आयु प्राप्त हो! परम पूज्य महाराजश्री के अवतरण दिवस (उल्लास का पर्व) के सभी को शुभकामनाएं और बधाई!
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I wan live in Ashram for Devine Enlightenment during my Annual Holidays in October/ November ’23. . Thanks