गुरु सूर्य है चन्द्र गुरु है गुरु ही पूर्ण प्रकाश | आत्मचिंतन के सूत्र | Sudhanshu Ji Maharaj

गुरु सूर्य है चन्द्र गुरु है गुरु ही पूर्ण प्रकाश | आत्मचिंतन के सूत्र | Sudhanshu Ji Maharaj

गुरु सूर्य है चन्द्र गुरु है गुरु ही पूर्ण प्रकाश

गुरु एक जलता हुआ दिया हैं जिसके प्रकाश में सब बुझे हुए शिष्य भी प्रकाशित हो उठते है !
गुरु एक ऐसा शब्द है जिसका वर्णन शब्दावली में नहीं मिल सकता अभिप्राय की गुरु की महिमा इतनी अनन्त है कि हम उसका व्याख्यान ही नहीं कर सकते !

गुरु वह पारस मणि हैं जो दोष खोट से भरे शिष्य के मानस मंडल पर जब छा जाते हैं तो उसी कलुषित आत्मा को अपने स्पर्श से जो बना देते हैं, उसकी कल्पना नही की जा सकती , आचार्य कोई साधारण व्यक्ति नहीं! वह शक्ति हैं जो उस लोक से परम का संदेश लेकर इस धरती धरा पर तप्त आत्माओं को शांति का संदेशा देते हैं !

गुरु का जीवन मे आना कोई साधारण घटना नहीं है

जन्म जन्मान्तरों के पुण्य प्रभाव से ही सदगुरु का मिलना होता है: हम उन्हें चुन लें यह साधारण बात है पर जब आचार्य किसी का चयन करते हैं तो मानो अगणित जन्मों का पुण्य सामने आता है !
आचार्य के प्रति जितनी श्रद्धा,वफादारी , प्रेम, ऒर समर्पण की भावना लेकर चलोगे – उतने ही चमत्कार जीवन मे घटते जाएंगे क्योकि गुरुकृपा तभी फलीभूत होती है !

इसलिए अपने सदगुरु को इतना महत्व दो जो सभी रिश्तों से बढ़कर हो क्योकि बाकी सभी रिश्ते छूट जाएंगे कुछ स्वार्थवश और कुछ मजबूरी के कारण – बस गुरु का रिश्ता ही इस जन्म में तो साथ निभाएगा ही, परलोक तक आपके साथ जायेगा !

सद्गुरु तो अपनी रूहानी दौलत लुटाने को हर पल तैयार हैं, हम अपनी पात्रता ही विकसित नहीं कर पाते : जब बर्तन स्वच्छ , निर्मल होगा तभी आप कुछ रख सकोगे, इसी प्रकार अपने मन की मैल को धोकर, शुद्ध, पवित्र होकर उनके दर पर जाकर देखो, सब कुछ पा जाओगे जिसकी कल्पना भी नही की होगी !

सच्चा गुरु अपने शिष्य से कुछ नही चाहता, उनकी इच्छा होती है कि मेरे शिष्य सुखी, प्रसन्न रहें, मुस्कान चेहरे पर बनी रहे और भक्ति के पथ पर आगे से आगे ही बढ़ते जाएं- यही आचार्य की चाहत होती है !

गुरु की महिमा के लिए जितने भी शब्द लिखें, कम हैं

सब धरती कागज करूं, लेखनि सब वनरायी- सब समुद्र की मसि करूँ- गुरुगुण लिखा न जाये, गुरुगुण लिखा न जाए !
अंत मे यही प्रार्थना की हे सदगुरु हमारी बुद्धि को सुबुद्धि बनाये रखना, भक्ति पथ पर आगे से आगे बढ़ते जायें, हमारी यात्रा रुके नहीं ओर जिस लक्ष्य को लेकर धरती पर आए है, परमात्मा की प्राप्ति उसको प्राप्त करने में सफल हो, जीवन की यात्रा आपके बताए मार्ग ओर नियम पर आधारित रहे !

5 Comments

  1. ताराचंद जांगिड़ says:

    परम पूज्य परम वंदनीय पतित पावन श्री सदगुरु देव महाराज जी के श्री चरणों में संपूर्ण परिवार सहित कौटी कौटी दणडवत प्रणाम नमन जय हो सदगुरु देव महाराज जी आपकी जय हो शुक्रिया आपकी हर दैन के लिए शुक्रिया आप सदैव स्वस्थ निरोगी रहे आपकी दया दृष्टि सभी भक्तों पर सदैव बनी रहे औम गुरुवै नम ❤❤❤❤
    ध्यान मुलम गुरु मुर्ति पुजा मुलम गुरु पद्वम
    मंत्र मुलम गुरु वाक्य मौक्ष मुलम गुरु क्रपा

  2. Naresh Chopra says:

    Absolutely Right

  3. धर्मपाल शास्त्री says:

    जय गुरुदेव आपके चरण कमलों में शत शत नमन आपकी कृपा दृष्टि हम सब गुरु भाइयों व बहनों पर ब नी रहे यही मेरी सद्कामना है |जय गुरुदेव|

  4. Naresh Chopra says:

    Absolutely Right 100% correct

  5. Gautam Jagannath Nikalje says:

    I like it

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