प्रेमपूर्वक दोनों हाथ जोड़िए! शांत होकर मस्तिष्क को खाली करते हुए कोमलता से अपनी आंखें बंद करें! आंखों में शांति और प्रेम का भाव रखते हुए बिना किसी दबाव के इन्हें बंद रखिए!
चेहरे पर शांति और प्रसन्नता का रूप कि आप शांत भी हैं, संतुष्ट हैं पर आपके होठों पर प्रभु की समस्त देन को ध्यान में रखकर संतुष्टि की प्रसन्नता है! पूरा रोम-रोम शांति से भरा हुआ चारों ओर के वातावरण में ये अनुभव कीजिए कि धरती आसमान हवा पानी अग्नि तत्त्व सूर्यदेव सब आपके सौभाग्य को बढ़ा रहे हैं, आरोग्य को बढ़ा रहे हैं, सफलताएं दे रहे हैं!
अपने मन मन में अपने इष्टदेव का नाम तीन बार उच्चारण कर लीजिए! एक लंबा गहरा श्वास भरकर छोड़िए। ओमकार का उच्चारण कीजिए!
ॐ … प्रभु की कृपाओं को अनुभव करते हुए पूरे ब्रह्मांड से जुड़ने की चेष्टा कीजिए! चारों ओर से देव शक्तियां आपको ऊर्जा दे रहे हैं! आप शांति से भर रहे हैं! पूर्ण रूप से शांत हो रहे हैं! तनाव चिंता दबाव दुख पीड़ा सभी नकारात्मक ऊर्जाएं बाहर जा रही हैं! शांत.. शांत..
सहज होते जाइए! प्रभु के प्रेम को अनुभव करें!
अपने हृदय में उस प्रेम का संचय होते हुए अनुभव करें! प्रेमपूर्ण आकर्षण का केंद्र बनें! संसार की हर शुभ वस्तु अपनी ओर आते हुए अनुभव कीजिए! समृद्ध और खुशहाल होते हुए अनुभव कीजिए! देने वाले मालिक ने आपका हाथ पकड़ा हुआ है उसकी कृपा छाया आपके साथ है! सिर झुकाकर भगवान को धन्यवाद कीजिए!
ये दया ये कृपा हमेशा बनी रहे प्रभु! आपको प्रणाम करता हूं! आपका होकर आपके साथ आपकी ही साक्षी में मैं समस्त शुभ कर्म करता जाऊं!
आपकी इच्छा को पूर्ण करूं! मेरे सारे निर्णय प्रभु अच्छे निर्णय हों।शुभ की ओर हों और हर दिन मैं अपने आपको ऊपर उठाऊं। अपना विकास करूं प्रगति करूं जीवन में सुख शांति समृद्धि प्रसन्नता धैर्य और संतुलन को बढ़ाता चला जाऊं। हे प्रभु मुझे आशीष दीजिए!