अपने माथे को ढीला छोड़िए सहज स्थिर हो जाएं! चेहरे पर प्रसन्नता का भाव लाएं मन में शांति परम् प्रभु की कृपाओं को ध्यान में ले आइए
उसकी दी हुई देन को ध्यान में लाइए !प्रभु के संकट मोचक रुप को ध्यान में लाइए! उसके द्वारा की गई उनेक-अनेक अवसरो पर आपकी सुरक्षा, आपकी रक्षा उसे ध्यान में लाइए! कृतज्ञता पूर्वक सिर झुकाकर प्रभु को प्रणाम करना
निवेदन करें दयानिधान, कृपानिधान, सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी, सर्वअंतर्यामी प्रभु! श्रद्धा भरा प्रणाम हमारा स्वीकार कीजिए, अनेक-अनेक नाम हैं! आपके अनेक-अनेक तरीके से, अनेक-अनेक ढंग से, अनेक-अनेक विधियों से लोग आपको पुकारते हैं, आपका ध्यान करते हैं, आपको भजते हैं!
जिस भी नाम से जिस भी भाव से जिस भी तरह से अपने हृदय को अपने चित्त को व्यक्ति आपसे संयुक्त करता है आपकी कृपाधारा उसकी ओर बहने लगती है !
हे दयानिधान हम आपसे प्रार्थना करते हैं, मूल्यवान जीवन को हम मूल्यवान बना सकें हमारे विचार पवित्र हों, चिंतन अच्छा हो, कर्म अच्छा हो
प्रत्येक क्षण को हर पल को हम अच्छा बना सकें सुनियोजित तरीके से जीवन को जी सकें सद्बुद्धि प्रदान करना आनंदित रहें, प्रसन्न रहें, प्रेम पूर्ण रहें!
मुस्कुराते हुए हर दिन का स्वागत करें! अपने कर्त्तव्य कर्मों को खूबी से निभाएं सक्षम और समर्थ बन कर जीएं शरीर स्वस्थ हो मन में शांति हृदय में प्रेम हाथों में कर्म करने की क्षमता सदा बनी रहे और जब तक इस संसार में हम रहें! किसी पर भी निर्भर होकर न जीएं स्वयं पर निर्भर होकर रहें!
प्रभु! हमें क्षमता प्रदान करना स्वस्थ रहें, निरोग रहें, प्रसन्न रहें, शांत रहें, आनंदित रहें! आपके द्वारा दी गई देन को पाकर अहंकार ग्रस्त न हों विनम्र बने रहें! धन-धान्य समृद्धि में अभ्युदय में निरंतर आगे बढ़े लेकिन प्रभु आपकी भक्ति को आपके प्रेम को आधिक से अधिक प्राप्त कर सकें जीवन को सफल बना सकें! अपने सभी फर्ज अपने सभी कर्त्तव्य हम निभा सकें!
हमें आशीष दीजिए! आपके दर पर आए हुए सभी भक्तों का कल्याण कीजिए हमारी विनती को प्रार्थना को स्वीकार कीजिए प्रभु