हे परमेश्वर! जिस दिव्य योजना के साथ आपका पूरा संसार संचालित है। वह दिव्य योजना जो आपके समस्त ज्ञान और महान बुद्धि के द्वारा आपके विज्ञान के द्वारा इस संसार में प्रकट होती है।
वैसी ही बुद्धिमत्ता जिससे स्वयं का जीवन हमारा अच्छा हो सके। और हमारे जाने के बाद भी हमारे आदर्श महकते रहें, ऐसी सुबुद्धि, सुमति हमें प्रदान कीजिए। या मेधां देवगणा पितरश्चोपासते, तया मामद्य मेधयाग्ने मेधाविनं कुरु।।
ज्ञानी-ध्यानी ट्टषिजनों ने, गुरुजनों ने जिस पवित्र बुद्धि को प्राप्त किया और जिसे प्राप्त करने के बाद अपना कल्याण कर लिया, वैसी ही सुबुद्धि हमें भी प्रदान कीजिये प्रभु और हमें अपना उपकरण बनाइए। आपकी ऊर्जा, आपकी शक्ति उससे हम संचालित हों और आप जिसमें प्रसन्न हों वही हम करें।
जिसके माध्यम हम आपका सान्निध्य निकटता प्राप्त करें वही कार्य, वही हमारे द्वारा की जाने वाली क्रियायें वैसी ही होने लग जाएं। हे परमेश्वर! हमसे अपना निकटता वाला सम्बन्ध बनाइए। हमारे हृदय में आप विराजित रहे, आपकी प्रेरणाएं हमें प्राप्त होती रहे।
दिनोदिन हम प्रगति करें, ऊपर उठें, आगे बढ़ें, हमारे अंदर की शांति, संतुष्टि यह समृद्धि हमेशा और भी बढ़े, हमारा आनन्द, हमारी मुस्कुराहट, हमारे अंदर की खुशी बाहर भी फैल जाए। हमारे हृदय का प्रेम चारो तरफ फैले और आपके अंदर आती हुई प्रेम और शांति, आनंद की किरणे हमारे हृदय में बस जाए।
भगवान हम पर कृपा करना। सभी जो भी आपके दर पर आये हैं, आपसे जुड़े बैठे हैं, आपके सामने नतमस्तक हैं उन सभी प्यारों पर अपना आशीष दीजिए। सभी सुखी रहें, समृद्ध रहें, खुशहाल रहें यही हमारी विनती है स्वीकार करना।.
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परम पूज्य परम वंदनीय पतित पावन श्री सदगुरु देव महाराज जी के श्री चरणों में कौटी कौटी दणडवत प्रणाम नमन जय हो सदगुरु देव महाराज जी आपकी जय हो शुक्रिया आपकी हर दैन के लिए शुक्रिया औम गुरुवै नम ❤❤❤