श्रद्धाभाव के साथ अपने दोनों हाथ जोड़िए, प्रार्थना कीजिए और जगत के स्वामी अपने प्यारे प्रभु के प्रति हृदय से धन्यवाद करते हुए प्रभु को प्रणाम कीजिए।
मन-मन में अपने ईष्टदेव को आप स्मरण कीजिए! उनके स्वरुप को ध्यान में लाइए! और उनका नाम मन-मन में उच्चारण कर लीजिए।
अब प्रार्थना करते हैं! दयालुदेव, सर्वशक्तिमान परमेश्वर! आपको बारम्बार प्रणाम! अनंत-अनंत कृपाओं के प्रति आभारी हैं।
आपने हर स्थान पर हमारी रक्षा की, हमें बचाया! जो हमें मिलना चाहिए, जिधर हमें जाना चाहिए, जो हमारे लिए शुभ था आपने वही दिया।
हम जो चाह रहे थे, जो हमारे लिए उचित नहीं था, जिस रास्ते पर चलकर हम दुख भोगते आपने वहां से हमें बचाया। प्रभु हमें सद्बुद्धि दीजिए। हमारे लिए वो मार्ग दीजिए जिसमें हमारा भला हो, हमारा कल्याण हो क्योंकि हम उस क्षणिक सुख के प्रति दौड़ते हैं!
भूल जाते हैं कि आगे चलकर ये हमारे लिए सुखदायी नहीं होगा। इसलिए जो शुभ है उसे देना! जो हमारे लिए अशुभ है, दुखदायी है उसको मत देना।
उसी रास्ते पर चलाना, जिस रास्ते पर चलकर परम शांति और परम सुख और सौभाग्य की प्राप्ति हो! जिससे हमारा कल्याण हो।
उस रास्ते से हमें रोके रखना जो हमारे लिए दुखदायी बनें और जिससे हमारा भला न हो। अपने आपको आपको समर्पित करते हैं आपको सौंपते हैं।
हमारे हाथों को पकड़े रखना भगवान, अपने बच्चों पर कृपा हमेशा करते रखना। यही विनती (प्रार्थना) है इसे स्वीकार कीजिए प्रभु।
सभी का कल्याण हो, सभी के जीवन में सुख आए, सभी शांति और आनंद को प्राप्त करें, सबका सर्वविधि शुभ मंगल हो,
इस विनती को स्वीकार करना।
ॐ शान्ति: शान्ति शान्ति: ॐ