प्रभात की इस पवित्र वेला में अपने प्यारे ईश्वर से जुड़ते हुए अपने हृदय की पुकार भगवान के समक्ष रखिये, हे परमेश्वर! श्वांसों की कुछ ही जमापूंजी लेकर हम संसार में हैं। बहुत सारा समय जीवन का व्यतीत भी हो गया। जीवन के कर्त्तव्य अनेक तरह के शेष हैं। सांसारिक चुनौतियां भी बहुत है।
अनेक बाधाओं के बीच भी जीवन की ये यात्र इस लोक से होकर आपके धाम तक जा सके, व्यक्तियों के साथ सम्बन्धों को निभाते हुए हम अपना सम्बन्ध आपसे निभा सकें। आती-जाती श्वांस में आपका नाम सिमर सकें और प्रत्येक कार्य में आपको शामिल कर सकें, हमारे मन में स्थिर होना प्रभु। विचारों में श्रेष्ठता आये, हमारी आंखों में अपनी कृपा बरसाना जिससे ये दृष्टि दिव्य दृष्टि बने।
कानों पर भी ये कृपा करना की भद्र सुने और वही सुने जिससे हम प्रगति की ओर जायें और आपका साथ न छुटे। इस हृदय में बसना कि हृदय की हिलोर आपके साथ जुड़ी रहे, प्रेम की तरंगें आपके चरणों से जुड़ी रहे।
हे प्रभु! इन हाथों में अपनी कृपा करना, सत्कर्म हो, किसी का हक न छीने और किसी को किसी प्रकार का कष्ट भी न दें, ये पग आपकी राह में चलते रहें। संसार का किया हुआ संग्रह और संसार के सभी रिश्ते-नाते, इन सबको छोड़कर और अपनी देह को भी यहीं छोड़कर ये जीव अगली यात्र में जाया करता है।
जब भी वो समय आये तो हम अपने आपे में संतुष्ट हों और धन्यवाद करते हुए आपके धाम की ओर आये। प्रसन्नता के साथ एक-एक दिन व्यतीत हो, मन में शांति रहे, हृदय में प्रेम रहे, चेहरे पर मुस्कान रहे, कर्म करने की शक्ति अंतिम समय तक बनी रहे, अपनी आत्मा में हम कलुष पैदा न करें, क्योंकि पुरे संसार का सामना हम कर सकते हैं लेकिन अपनी खुद के अंदर खुद का सामना नहीं कर पाते। आशीष दो ये जीवन धन्य हो आपके दर से जुड़े हुए सभी भक्तों पर अपनी कृपा बरसाना भगवान और सबकी झोलियां भरना, यही विनती है हमारी स्वीकार करना।