दोनों हाथ जोड़े रखिए मन-मन में सभी लोग यही प्रार्थना करेंगें हे दयानिधान, कृपानिधान, सच्चिदानंद स्वरुप परमेश्वर हे सर्वशक्तिमान, हे नियंता, हे सुद्ध-बुद्ध मुक्त स्वभाव, हे पतितपावन अनेक-अनेक नामो से मनुष्य आपको पुकारता है!
आप सबके हो सब में हो घट-घट वासी हो अंतर्यामी हो! हे दयानिधान कृपानिधान आपके चरणों में उपस्थित होकर हम आपके बालक-बालिकाएं आपसे विनम्र निवेदन करते हैं!
प्रभु! हमारे जीवन में जो भी कोई त्रुटि है, दोष है, खोट है ऐसा कोई भी बुरा स्वभाव है जो हमारी प्रगति में बाधक है उसे दूर कीजिए शक्ति दीजिए
उस आलस्य को दूर कीजिए जो हमारे आरोग्य के लिए बाधक बनता है! हम अपने स्वास्थ्य के प्रति अनुशासित नहीं हो पाते प्रभु! स्वाद वाली आदत पर भी नियंत्रण पाएं जो स्वाद की ओर तो जाती है लेकिन स्वास्थ प्रद पदार्थों को खाने से हमें रोकती है।
उस संगति से भी हमें बचाओ जो संगति हमारे जीवन को आगे बढ़ाने में बाधक बनती है! और संसार में भटकाती है! उनकी शरण देना उनका संग देना जिससे प्रभु आपका रंग लगता हो उस दिशा में लेकर जाना जिससे जीवन की दशा ठीक होती हो वह व्यवस्था हमें सिखाओं प्रभु जिससे हम अपने जीवन की व्यथाएं दूर कर सकें!
हमारे जीवन का विषाद दूर हो और हमारे जीवन में प्रसाद गुण आ जाए! उत्तरोत्तर प्रगति करें! मन में शांति और संतुलन हो हृदय में प्रेम रहे ये पग आपकी राह में चलें और वाणी आपका नाम सदैव स्मरण करें मन मस्तिष्क गुरुजनों के चरणों में झुकें हमारे हाथों से निरंतर कल्याण हो अपने दर पर आए हुए भक्तों को सुख देना समृद्धि देना शांति देना अपनी भक्ति का दान देना हम अपने राष्ट्र के प्रति वफादार बनें, राष्ट्र के प्रति जिम्मेदार बनें अपने देश का गौरव सारे संसार में ऊंचा कर सकें! हमारी अस्मिता राष्ट्र की अस्मिता सदा बनी रहे प्रभु हमें आशीष दीजिए!
सभी पर अपना आशीष बरसाइए यही विनती है यही प्रार्थना है अभ्यर्थना है इसे स्वीकार कीजिए!
ॐ शान्ति: शान्ति शान्ति: ॐ