गुरु-शिष्य के बीच आध्यात्मिक जुड़ाव वाली यात्रा जन्मों से चली आ रही होती है, सदगुरु अपने शिष्यों के जीवन की गांठों को जन्मों से खोलते और जीवन गढ़ने का दायित्व निभाते रहे हैं। इस आध्यात्मिक प्रयोग के लिए बहाना बनती हैं गुरु निर्देशित साधनायें। आनन्दधाम गुरुभूमि से जुड़ी गुरुनिर्देशित साधनायें जैसे वरदान सिद्धि, मनाली तप साधना, विशेष शिव वरदान ध्यान साधना हो अथवा नवजीवन साधना आदि वही सब बहाने हैं, पुज्य सद्गुरु चाहते हैं कि शिष्य के जीवन व अंतःकरण में किसी भी प्रकार आमूलचूल बदलाव लाया जा सके।
जीवन की सोच, चिंतनधारा, संकल्प, व्यवहार, आहार शैली, जीवन शैली आदि में सम्पूर्ण नयापन लाया जाय। हजारों शिष्य अनुभव करते आ रहे हैं कि इस रूपांतरण के लिए गुरुवर साधकों की भीड़ में भी प्रत्येक साधक की मनोभूमि, आध्यात्मिक स्थिति पर दृष्टि डालकर उसके अनुरूप साधक की साधनात्मक आकांक्षाओं को जगाते और अपनी कृपा लुटाते हैं। उसे निर्देशित अनुशासन, निर्धारित उपासना आदि के अनुशासनात्मक स्तर की उचित गहराई से जोड़ते हैं। गुरुवर को उद्देश्य रहता है कि साधक के आभा मण्डल की जड़ता टूटे और वह अपने आत्मतत्व की परम पवित्रता वाले मूल स्त्रोत्र से जुड़ सके।
वैसे भी हर समर्थ सदगुरु का कार्य होता है अपने शिष्यों में कास्मिक हीलिंग करना। शिष्य द्वारा नियमित 365 दिन अपने सदगुरु को श्रद्धा व प्यार से याद करने पर यह सम्भव भी होने लगता है। सद्गुरु शिष्य के जीवन में आने वाली जीवन व्यवहार संबंधी स्थितियों के विविध प्रभावों को भी आध्यात्मिक हीलिंग करके दूर करता है और इस प्रकार अपनी तपः पूजी के साथ वह कृपा करके शिष्य के आभामण्डल को बदल देता है। विशेष सावधानी यह कि शिष्य जितनी वफादारी, निष्ठा-श्रद्धा से अपने सदगुरु से जुड़ता है, गुरु उसे उसी गहराई से हील करने में समर्थ होता है।
हजारो साधक अनुभव से गुजर चुके हैं कि उनके पूज्य सदगुरु अपनी आध्यात्मिक प्राणऊर्जा के साथ जब विश्व ब्रहमाण्ड में प्रवाहित विश्व ऊर्जा के अंश भेजे तो शिष्यों के 18-18 वर्षीय दुर्भाग्य टूटे और क्रमशः शिष्य फिर से तरक्की के योग्य बने। यह विधि पूज्य सद्गुरुदेव जैसे समर्थ गुरु ही प्रयोग कर पाते हैं, क्योंकि ये अपने शिष्यों के प्रति करुणा भाव से उनका कल्याण करने के संकल्प से भरे जा रहे हैं, सौभाग्य है कि आपका ऐसे सदगुरु से आप जुड़े हैं। अपने साधनात्मक प्रयोगों के सहारे अब तक लाखों शिष्यों के दुर्भाग्य को अपनी शक्ति व ऊर्जामय आशीर्वाद देकर गुरुदेव ने सौभाग्य में बदला है और उन्हें कल्याणमय जीवन दिलाया। गुरुकृपा पाकर लाखो शिष्य अपने जीवन को पुनः सुख, सौभाग्य, पुण्यमय बनाने में सफल हुए।
इसीलिए गुरुदेव समय-समय पर साधकों को साधना के लिए आमंत्रित करते रहते हैं। इन दिनों पूज्य गुरुदेव ने जहां वर्ष भर के लिए 24 सत्रों वाली जीवन कायाकल्प हेतु ऑनलाइन व्यवहारिक नवजीवन साधना साधकों के लिए प्रारम्भ कर रखी है। जिसके तहत वार्षिक साधना के 12 चरणों के लिए समय-समय पर गुरु निर्देशित साधनाओं वाले 24 विशेष ऑडियो भी प्राप्त होते हैं। साथ ही जीवन निर्माण सत्र से जुड़े प्रतिमास 30 व 60 मिनट के साधना सम्बन्धी लिखित सूत्र के अन्य संदेश भी साधकों को दिये जाते हैं। वहीं समय-समय पर साधना शिविर में भी बुलाते रहते हैं।
इसी क्रम में वर्षों से प्रतिवर्ष मई-जून माह में पूज्यश्री के पावन सान्निध्य एवं निर्देशन में चलने वाली मनाली ‘चाण्द्रायण तप’ व ‘ध्यान साधना शिविर’ का आयोजन इस वर्ष प्रथम ध्यान साधना शिविर 19 से 23 मई, 2022, द्वितीय शिविर 25 से 29 मई, 2022 एवं ‘‘लघु चाण्द्रायण तप’’ 31 मई से 14 जून, 2022 तक होने जा रहा है, जिसमें साधक भागीदार बन सकते हैं। उल्लेखनीय कि दिव्य प्राकृतिक आध्यात्मिक वातावरण के बीच विश्व जागृति मिशन मनाली आश्रम स्थित शिव-शक्ति, राधा-कृष्ण एवं मां वैष्णो देवी की भव्य प्रतिमाओं से युक्त यह स्थल गुरु सानिध्य में सैकड़ों श्रद्धालुओं द्वारा किये गये नियमित यज्ञ, पूजन-अर्चन, ध्यान-तप के कारण अकूत आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा है। गुरु सान्निध्य में ‘‘ध्यान एवं लघु चाण्द्रायण तप’’ से साधक का आत्मिक कायाकल्प यहां की विशेषता है। साधकों को चेतना की गहराई तक पहुंचाने में यहां विद्यमान ट्टषियों की तपः ऊर्जा भी मदद करती है।
इन साधनात्मक प्रयोगों से साधकों का अवचेतन, अचेतन व चेतन मन गहराई स्तर तक प्रभावित होगा, नवयुवक जैसी मनोदशा बनेगी। साधक शांति और संतुष्टि के साथ ब्रह्माण्डीय ऊर्जा के ज्यादा करीब अनुभव करेगा। साधकों के जीवन एवं परिवार में सुख-सौभाग्य एवं सुख-शांति के द्वार खुलेंगें।’’ शिष्य आध्यात्मिक जागरण से निजस्वभाव में स्थित हो सकेंगे, गुरुवर का उद्देश्य पूरा होगा। गुरुभक्त साधक ऑनलाइन नवजीवन साधना और परमपूज्य सद्गुरुदेव श्रीसुधांशुजी महाराज एवं श्रद्धेया डॉ- अर्चिका दीदी के सान्निध्य में तपोभूमि मनाली की चाण्द्रायण तप, ध्यान साधनाओं को जीवन का सौभाग्य मानते हुए इनका लाभ अवश्य लें।