जीवन में ध्यान बेला का उदय अत्यधिक सुखद सौभाग्यमय होती है। जब व्यक्ति के जीवन में शुभ सौभाग्य उदय होता है, तब उसके जीवन में ध्यान साधना से जुड़ने का भाव जागता है! यह स्थिति जब जीवन में किसी कारणवश आकर खड़ी हो जाए, तो पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। ऋषिकेश ध्यान-साधना शिविर एक ऐसा ही सुनहरा अवसर है जहां साधकों को विशेष ध्यान विधि तो मिलेगी ही साथ में वे जीवन में ध्यान को स्थान देने में भी सफल होंगे अतः पधारें अवश्य।
महर्षियों का मत है! कि भारत की ऋषि अनुसंधित ऐसी प्राचीन विद्यायें अपने साधक को स्वयं भी खोजती रहती हैं, बशर्ते वह शिष्य श्रद्धावान हो, सरल हो। शिष्य जितना श्रद्धावान होगा, उतनी ही ध्यान साधना के प्रति उसमें अभिरुचि बढ़ेगी और अंतःकरण में शांति छायेगी। ध्यान निर्देशन विधि के सहारे गुरु द्वारा अपने शिष्य के लिए की गयी परमात्मा से प्रार्थना सफल होगी, शिष्य के अंतःकरण व जीवन में आध्यात्मिक भावना प्रकट होगी। ध्यान साधना जब गहराई में प्रवेश करने में सफल होगी, तो सुख-सौभाग्य के अवसर भी बढ़ेंगे।
ध्यान हमारी भारतीय संस्कृति का प्राण है, इसीलिए सम्पूर्ण तप साधनाओं में ध्यान साधना का महत्वपूर्ण स्थान है, सृजन और कल्याण का आधार है ध्यान। तप क्षेत्र में ध्यान इसलिए महत्वपूर्ण है कि इससे श्री समृद्धि, आत्म उन्नति, सुख, शांति, सौभाग्य, समरसता आदि लाभों सें स्वयं को भरा जा सकता है। ध्यान की गहराई साधक को विश्व शक्ति से जोड़ती है! मुसीबतों से मुक्ति दिलाती है! बीमारियाें-महामारियों से मुक्ति दिलाती है, अशांत-व्याकुल मन को शांति दिलाती है! वास्तव में भौतिक और आध्यात्मिक दोनों क्षेत्रों में प्रवेश का मार्ग है ध्यान।
पूज्य सद्गुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज जी के संरक्षण में किया जाने वाला ऋषिकेश का ध्यान साधक को ईष्ट के प्रति गहरा विश्वास जगाने में सफल होगा ही। सुमति, समृद्धि का जागरण करने एवं संगठन बल की धारणा बढ़ाने में भी सफल होगा। सम्पूर्ण देवात्मा हिमालय ध्रुवक्षेत्र की सूक्ष्म आध्यात्मिक प्रेरणा को आत्मसात करने वाले साधक सम्पूर्ण विश्व भर से भारत आते रहे हैं।
माँ गंगा के तट पर बैठकर कहीं इसी हिमालय क्षेत्र में ध्यान की गहराई में उतरने का प्रयास भी करते रहे हैं। कहते हैं आज भी ऋषिकेश में सूक्ष्म शरीर से ऋषि निवास करते हैं। सच्चे संत व समर्थ सद्गुरु इन ऋषियों की कृपा हेतु साल में एक बार इस क्षेत्र में साधना के लिए अवश्य पधारते हैं। पूज्य सद्गुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज इन्हीं दिव्य गुरुओं-संतों में एक हैं। गुरुदेव चाहते हैं हमारे शिष्यों, भक्तों, स्वजनों को भी ऋषियों की कृपा, आशीर्वाद मिले।
हिमालय की पहाड़ियों से घिरे परम शान्तमय वातावरण वाले ऋषिकेश को माँ गंगा अनन्तकाल से पवित्रता से भरती आ रही हैं। शास्त्र अनुसार ऋषिकेश, केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री चार धामों के इस प्रवेशद्वार वाली त्रिवेणी में बैठकर साधना का सुअवसर मिलना जीवन के लिए सौभाग्य है। समर्थ सद्गुरु पूज्यवर निर्देशित यह ध्यान साधना शिविर! साधक को गहराई तक उतारने में सफल होगी और साधकों के जन्मों के बंधन खोलने! प्रारब्ध काटने, आत्म उन्नति के साथ आध्यात्मिक शांति-सौभाग्य को प्रशस्त करने में भी सफल होगी।
तीर्थ के आशीर्वाद! पूर्वजों और पितरों का दिव्य वरदान पाने का सुयोग भी बन सकेगा! सभी जानते हैं कि माँ गंगा के पावन सानिध्य, हिमालय की छाया! ऋषियों-संतों की इस तपःस्थली पर अनन्तकाल से करोड़ों साधकों द्वारा जप! ध्यान, योग, तप आदि अनुष्ठान चलते आये हैं! ऐसे दिव्य स्थल पर आयोजित होने वाले ध्यान साधना शिविर में गुरु सानिध्य एवं मार्गदर्शन दोनों प्राप्त होना! और गुरु परिवार के सान्निध्य में ध्यान-साधनाओं के लिए अवसर मिलना दिव्य सुयोग ही कहा जा सकता है।
इसे जीवन का सौभाग्यशाली अवसर! समझकर भागीदारी अवश्य करना चाहिए। इसे माँ गंगा का आशीर्वाद एवं ऋषियों की कृपा, हिमालय की
आध्यात्मिक तरंगों का खिचाव भी मानना चाहिए! अतः सम्पूर्ण सौभाग्य मानकर ऋषिकेश ध्यान साधना में पधारें और पूज्य सद्गुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज एवं ध्यान-योग गुरु! डॉ- अर्चिका दीदी जी के सानिध्य एवं निर्देशन में इस विशेष वैज्ञानिक अनुष्ठान का लाभ लें। निश्चित ही 17 से 20 नवम्बर, 2022 की तिथियों वाला यह ‘‘ध्यान-साधना अनुष्ठान’’ जीवन को बहुआयामी प्रगति से भरने! आध्यात्मिक चेतना से
जोड़ने में सफल होगा। इस अवसर को चूकें नहीं।